कोरबा। उत्तरभारत के ठंडे प्रदेशो और दक्षिण के कुछ हिस्सों में पाए जाने वाले दुर्लभ प्रजाति के यूरेशियन ओटर (उदबिलाव) को महज 100 रुपये में खरीदी बिक्री करने का सवेंदनशील मामला सामने आया है। एक युवक के पास से खूबसूरत बेबी उदबिलाव मिला है, जिसे उसने 100 रुपये में खरीदा था। मामले का खुलासा तब हुआ जब दो युवक उदबिलाव को डॉग बताकर उसके लिए दवाई लेने पेटशॉप पहुचे। दुकान संचालक को संदेह हुआ तो उसने इसकी सूचना एनिमल रेस्कयू टीम को दे दी। समय रहते उदबिलाव को आजाद कराकर उसे वन विभाग के सुपुर्द कर दिया गया। अब विभाग के अधिकारी इस मामले की पड़ताल में जुट गए है
निहारिका इलाके में संचालित एक पेटशॉप मे दो युवक दुर्लभ प्रजाति के जंगली जीव को लेकर पहुचे। युवकों ने डॉग बताकर उसके लिए मेडिसिन की मांग की। मगर वह नन्हा खूबसूरत जानवर डॉग की किसी ब्रीड से मेच नही कर रहा था, लिहाजा पेटशॉप के संचालक आनन्द को संदेह हुआ। उसने फौरन इसकी सूचना एनिमल रेस्क्युवर अविनाश यादव को दी। समय रहते अविनाश मौके पर पहुचे और युवकों से उदबिलाव को आजाद कराया। फिलहाल नन्हा उदबिलाव वन विभाग के कब्जे में है।
तस्करी की प्रबल संभावना
डीएफओ प्रियंका ने खुद माना है कि ये मामला उदबिलाव के तस्करी से जुड़ा भी हो सकता है। बताया जा रहा है कि उदबिलाव उसकी चमड़ी से कई प्रकार के प्रोडूक्त तैयार होते है। जिसके कारण उदबिलाव की काफी डिमांड होती है। ऐसे में किसी ब्यक्ति के हाथों में उदबिलाव मिलना कई सारे सवालों को जन्म दे रहा है। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है।
सबसे अधिक संकटग्रस्त प्रजातियो में से एक है यूरेशियन ओटर
अंतराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने यूरेशियन ओटर ऊदबिलावों को कमजोर वर्ग के तहत सूचीबद्ध किया है।
उदबिलाव आईयूसीएन के नियर थ्रेटड मूल्यांकन में एहतियाती सूची से अधिक है। इस प्रजाति के संरक्षण कार्यों को बनाए रखने की आवश्यकता है। इसके अलावा इस बात को लेकर अभी भी चिंता बनी हुई है कि एशिया में के कुछ हिस्सों में अवैध शिकार में बढ़ोतरी हुई है।
उदबिलाव की मौजूदगी जिले के लिए गौरव
वैसे तो कोरबा जिला जैव विविधता से परिपूर्ण है। जिले के जंगल और पहाड़ियों में विभिन्न प्रजाति के जीव मौजूद है। चाहे किंगकोबरा की बात हो या फिर पैंगोलिन। यदाकदा विलुप्त और दुर्लभ जीव जंतु मिल ही जाते है। वही यूरेशियन ओटर का मिलना अपने आप मे जिले के लिए काफी अच्छी खबर है। आमतौर पर ठंडे इलाको में पाया जाना वाला ओटर जिले में कई बार मिला है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि जंगल में उदबिलाव की तादात में बढ़ोत्तरी हुई है।
0 शिकारियों से संरक्षण की चुनौती
उदबिलाव दुर्लभ प्रजाति का जीव है। जानकार बताते है कि इसके कोमल चमड़ी की कीमत लाखो में है। यही वजह है कि लोग उदबिलाव के शिकार करना चाहते है। कई बार ओटर के मिलने से शिकारी भी सक्रिय हो गए होंगे। 100 रुपये में खरीदी बिक्री के इस मामले में ओटर के तस्करी के मामले को और हवा दे दी है। ऐसे में उदबिलाव को शिकारियों से बचाना भी विभाग के लिए बड़ी चुनौती है।