कोरबा – राम मंदिर प्रतिकृति मे विराजेंगे गजानन महाराज….. इको फ्रेंडली गणेशजी की बढ़ी मांग

गणपति बप्पा को अब विसर्जन के लिए बाहर ले जाने की जरूरत नहीं। घर के गमले की मिट्टी में रखकर श्रद्धालु वर्ष भर उनकी उपस्थिति अनुभव करेंगे। इस अवधारणा के साथ इस बार बाजार में मुंबई और कोलकाता से लाई गई इकोफ्रेंडली गणेश की नन्ही प्रतिमाएं लोगों को खूब भा रहीं है। मिट्टी व वाटर कलर से निर्मित प्रतिमाओं की खरीदी कर श्रद्धालु पर्यावरण संरक्षण के लिए सहभागी बन रहे हैंं।

बदलते परिवेश के साथ आस्था का स्वरूप भी बदलने लगा है। गमले पर ही प्रतिमा विजर्सजन की परंपरा बढ़ने से इस बार गणेश उत्सव के लिए छोटे कद की मूर्तियां अधिक बिक रहीं हैंं। बच्चों को सांस्कृति विरासत से जोड़ने के लिए लोग बच्चाें की पसंद की छोटी प्रतिमा को अधिक पसंद कर रहे हैं। समितियों में स्थापित की जाने वाली मूर्तियों की तुलना घर में पूजा के लिए प्रतिमाओं की अधिक मांग होती है। 19 सितंबर से शुरू होने वाली गणेश पूजा में मूर्ति बिक्री के लिए शहर के विभिन्न स्थानाों प्रतिमाओं का स्टाल लग चुका है।

खास बात यह है कि मध्यम आकार के प्रतिमाओं की तुलना में लोग छोटी आकार की 15 सेंटी मीटर से लेकर आधी फीट ऊंची प्रतिमाओं को लोग अधिक पसंद कर रहे है। बाजार में 150 रूपये की छोटी प्रतिमा से लेकर 5,000 रूपये की बड़ी प्रतिमा उपलब्ध है। प्रतिमा विक्रेता गणेश गुप्ता का कहना है महानगरों में विसर्जन के लिए समुद्र, नदी या सरोवर तक दूर जाने की समस्या से निजात पाने के लिए लोग अब छोटी मूर्तियों की मांग कर रहे हैं। मूर्तियों को घर में विसर्जित करने की परंपरा शुरू कर दी गई है।