कोरबा–कोरबा में एनटीपीसी मैनेजमेंट प्रभावित ग्रामीणों को राखड़ खाने का पैसा देता है। सुनने में थोड़ा अटपटा लगता है लेकिन ये सच है। दरअसल राखड़ बांध से राख उड़ना रोकने में मैनेजमेंट नाकाम है। अधिकारियों ने आंदोलन रोकने के लिए गजब का तरीका इजात दिया है। पढ़िए ये खास रिपोर्ट।
धनरास गांव में स्थित एनटीपीसी का राखड़ बांध लोगो के जीवन में जहर घोल रहा है। बांध से राख उड़ने से 6 गांव के करीब 6500 लोग प्रभावित है। गर्मी के मौसम में 3 महीने तक ये इलाका राखड़ में डूब जाता है। लोगो का सांस लेना मुश्किल हो जाता है। नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए एनटीपीसी मनमानी करता है। चौकाने वाली बात तो ये है कि राखड खाने के लिए प्रतिव्यक्ति औसतन 50 रुपए दिया जाता है।
एनटीपीसी ने राखड़ वर्षा का दिन और रेट भी फिक्स कर रखा है। एनटीपीसी के मुताबिक साल में सिर्फ 10 दिन डेम से राखड़ उड़ता है। जिसके तहत 6 गांव के करीब 1250 परिवार को साल में 3000–3000 रुपए दिया जाता है।
इतना ही नहीं गर्मी के मौसम में वैवाहिक और अन्य पारिवारिक कार्यक्रम राखड़ की वजह से प्रभावित होने की स्थिति में भी राशि वितरित की जाती है। पिछले 3 साल में 40 से ज्यादा ऐसे मामले आ चुके है। राखड़ वर्षा के कारण लाखो का नुकसान हुआ है लेकिन महज 15000 रुपए देकर ग्रामीणों का मुंह बंद कर दिया जाता है।
पिछले 2 दशक से इलाके के ग्रामीण प्रदूषण का दंश झेल रहे है। राखड़ के कारण कई तरह की बीमारियों हो रही है। मगर एनटीपीसी मैनेजमेंट अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। नियमों को ताक में रखकर कभी खुद राखड़ बांध का तटबंध तोड़ दिया जाता है। बांध में पानी का छिड़काव नही किया जाता है, जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।
बीता चक्रबर्ती कोरबा।