​​​​​​​शिक्षा मंत्री की भरोसेमंद टीम ने 8 राज्यों के फैसले का अध्ययन किया, छत्तीसगढ़ ने महाराष्ट्र के पैटर्न को अपनाया; टीचर्स और स्टाफ को वैक्सीन लगवाएगी सरकार

 

छत्तीसगढ़ में 16 महीने बाद अब 2 अगस्त से स्कूल खुल सकेंगे। जिसके बाद एक बार फिर से स्कूलों में रौनक लौटेगी। राज्य में पिछले साल 1 अप्रैल 2020 से स्कूल बंद थे। जिसे अब 50 फीसदी उपस्थिति के साथ 10वीं और 12वीं की कक्षाएं लगाने और प्राइमरी स्कूल खोलने पंचायत स्तर पर फैसला लेने का निर्णय लिया गया है। लेकिन सरकार के लिए यह फैसला करना कितना कठिन था। इसके लिए क्या तैयारियां की गईं। पढ़िए भास्कर की इस इनसाइड स्टोरी में…

फैसले को करने से पहले शिक्षा मंत्री डॉ.प्रेमसाय सिंह टेकाम ने बाकायदा इसके लिए एक विशेष टीम बना रखी थी। मंगलवार को कैबिनेट की मीटिंग में जाने से पहले टेकाम ने शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ.आलोक शुक्ला और सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह के बीच स्कूल खोलने को लेकर विशेष टीम द्वारा बनाए गए ब्लूप्रिंट को लेकर चर्चा की। इसके बाद वे इस प्रस्ताव को लेकर कैबिनेट की बैठक में शामिल हुए। कैबिनेट बैठक में सीएम भूपेश बघेल ने स्कूल खोलने को लेकर चर्चा शुरू की। शिक्षा मंत्री ने कहा कि बोर्ड परीक्षाओं से संबंधित कक्षाएं तो खोली ही जा सकती हैं। इसके बाद विशेष टीम द्वारा बनाए प्रस्तावों पर लगभग एक घंटा चर्चा चलती रही। जिसके बाद राज्य में स्कूल खोलने को लेकर फैसला लिया गया है।

मंत्री पर इस वजह से भी दबाव बढ़ा
छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण कम होने के चलते ज्यादातर जिलों में सार्वजनिक स्थान, मॉल, बाजार खोल दिए गए हैं। कुछ राज्य पहले ही स्कूल खोलने का फैसला कर चुके हैं। जिसके चलते शिक्षा मंत्री व विभाग पर लगातार दबाव बढ़ रहा था कि आखिर स्कूल खोलने पर कब फैसला लिया जाएगा। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री भी जब शिक्षा मंत्री और दूसरे मंत्रियों से लगातार इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि सारे राज्य स्कूल खोल रहे हैं हम क्यों नहीं खोल सकते? क्या दिक्कतें हैं।

सुविधाओं पर होगा खर्च

8 राज्यों के फैसले पर हुआ अध्ययन
मंत्री ने प्रमुख सचिव डॉ.आलोक शुक्ला के साथ मिलकर अपने भरोसेमंद अफसरों की एक टीम बनाई। उन्हें इस मुद्दे पर पूरे देश में मॉनिटरिंग कर ब्लू प्रिंट बनाने का काम सौंपा। जिसमें टीम ने बिहार, गुजरात, हरियाणा, ओडिशा, पंजाब, कर्नाटक समेत 8 राज्यों ने स्कूल खोलने को लेकर जो बिंदू तय किए उनका अध्ययन किया।

पड़ोसी राज्य में स्कूल खुलने से बढ़ा दबाव
इसमें महाराष्ट्र का प्रस्ताव सबसे अहम था। उसने मुंबई व महानगरों को छोड़ पहले कोविड फ्री गांवों में स्कूल खोलने का ऐलान किया था। इसके बाद छत्तीसगढ़ ने इसी पैटर्न पर खाका बनाया है। राज्य में महाराष्ट्र पैटर्न पर ही स्कूल खोले जा रहे हैं। राज्य सरकार पर सबसे ज्यादा स्कूल खोलने का दबाव तब पड़ा, जब पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश ने स्कूल खोलने की घोषणा कर दी।

गाइडलाइन में इन बातों पर होगा फोकस
अब राज्य सरकार ने स्कूल खोलने का फैसला कर लिया है। इसके बाद अब स्कूल का संचालन कैसे करना है और इसके लिए क्या गाइडलाइन होगी। यह अब तैयार किया जाएगा। इसमें स्कूलों में 50 प्रतिशत छात्र ही शामिल होंगे। शिक्षकों व स्टाफ को जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाने, कोरोना गाइडलाइन का अनिवार्य रूप से पालन कराने जैसी बातों को शामिल किया जाएगा।

टीचर्स के टीकाकरण पर होगा फोकस
स्कूल खोलने से पहले सरकार उन शिक्षकों का टीकाकरण कराने पर फोकस कर रही है,। जिनका टीकाकरण अब तक नहीं हो सका है। इसके लिए सरकार ने बाकायदा एक सर्वे भी करा लिया है। इसमें वो सूची तैयार की गई है कि किन-किन टीचरों ने अब तक कोरना का टीका नहीं लगवाया है। इसमें यह बात सामने आई थी कि 13 फीसदी टीचर्स ने अलग-अलग कारणों से अब तक वैक्सीन नहीं लगवाया है।

कैबिनेट बैठक के बाद ये कहा गया?
मंगलवार को सरकार की कैबिनेट बैठक हुई। इसमें 2 अगस्त से स्कूल खोलने का फैसला लिया गया। बैठक के बाद जानकारी देते हुए मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि तकनीकी शिक्षा, नर्सिंग जैसे संस्थान 2 अगस्त के बाद से खुल सकेंगे। स्कूल को लेकर कहा गया है कि शहरों में 10वीं और 12वीं की कक्षाएं खुलेंगी। ऐसी ग्राम पंचायतें जहां कोविड के जीरो केस हैं, वहां ग्राम पंचायत और पालक समिति आपस में तय करने के बाद प्राइमरी स्कूल खोल सकती हैं। शहरी इलाकों में पार्षद और स्कूल प्रबंधन के अलावा अभिभावकों की समिति ये तय करेगी। ये स्थानीय स्तर पर तय किया जाएगा, लेकिन कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।