नए टीपी नगर को लेकर पहले भाजपाइयों ने किया विरोध, अब वोट साधने के लिए कर रहे चुनावी वादे

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कोरबा। नया टीपी नगर भले ही शहर की जरूरत हो, लेकिन भाजपाई इस मुद्दे का अब भी राजनीतिकरण कर रहे हैं। इसकी परिकल्पना कांग्रेस सरकार ने की थी। ताकि शहर के ट्रैफिक को व्यवस्थित किया जा सके। कांग्रेस ने यह योजना लाई, जब यह मूर्त रूप लेने वाली थी। तब भाजपा के नेताओं ने इसके स्थल को लेकर आपत्ति दर्ज कराई। बरबसपुर में नया टीपी नगर को लेकर भाजपाइयों ने तब प्रेस वार्ता का आयोजन किया। यह कहा कि स्थल परिवर्तन होना चाहिए, कभी कहा कि यहां बनाओ, कभी कहा वहां बनाओ, इन्होंने शिकायत, दवा आपत्ति ना जाने क्या-क्या किया। जिसकी वजह से नया टीवी नगर को लेकर पेंच फंस गया। योजना ही उलझ कर रह गई। लेकिन अब जब चुनाव करीब है। तब इन्हें नया टीपी नगर की याद आ रही है। चुनाव में जनता के पास जाना है। वोट मांगना है, तो झूठ ही कह दो। लेकिन भाजपाई यह भूल जाते हैं कि उनकी जुमलेबाजी को जनता बहुत अच्छे से समझती है। जिस टीपी नगर पर इन्होंने खुद पेंच फंसा कर रखा है। अब उसे बनवा देने का वादा करना इन्हें शोभा नहीं देता। कम से कम इतनी राजनीतिक समझ तो होनी चाहिए, इन्हें अपने गिरेबान में झांक कर एक बार तो देखना चाहिए।

तब विकास विरोधी कलेक्टर के गोद में बैठे थे यही भाजपई

मुख्यमंत्री जब कोरबा आए थे। तब भी नया टीपी नगर को लेकर सवाल पूछा गया था। तबके तत्कालीन कोरबा कलेक्टर संजीव झा को अब चुनाव आयोग ने बिलासपुर जिले के कलेक्टर पद से रातोरात हटा दिया। कोरबा में रहते भी इन्होंने ही नया टीपी नगर को लेकररातों-रात स्थल परिवर्तन कर दिया। दवा आपत्ति के लिए सूचना जारी कर दी। तब भाजपाइयों ने इनका समर्थन किया था। जबकि कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में रहने के बावजूद भी कलेक्टर द्वारा किए जा रहे गलत कार्यों का विरोध किया था। तब विपक्ष की भूमिका में भाजपा को एक मजबूत उपस्थिति दर्ज करनी थी। शहर के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए थी। लेकिन ये भाजपाई, जो अब चुनावी वादा कर रहे हैं। तब व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए कलेक्टर का साथ दिया और नया टीवी नगर को लेकर पेंच फंसा दिया। जोकि अब भी फंसा हुआ है।

आरोप लगाने के पहले तथ्यों को समझ लेना चाहिए :

भाजपा प्रत्याशी लखन लाल लोगों के घर-घर घूम रहे हैं। लोगों से झूठे वादे कर रहे हैं। अभी वह यह भी कह रहे हैं कि वह नया टीपी नगर बनवा देंगे। लेकिन इन्हें तथ्यों की समझ भी होनी चाहिए कि नया टीपी नगर की परिकल्पना कैसे हुई? इसे लेकर आपत्तियां किसने दर्ज कराई? भाजपाइयों की भूमिका इसमें क्या है? सिर्फ और सिर्फ एक चुनावी वादा कर भाजपा प्रत्याशी लोगों से नया टीपी नगर का जिक्र कर रहे हैं।
जिसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। वह खुद भी इस बात को भली भांति समझते हैं, लेकिन इन्हें इस बात को भी समझ लेना चाहिए की जनता इतनी मूर्ख भी नहीं है।

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