सीजीपीएससी में हालिया भर्तियों को लेकर हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने सवाल उठाया है कि ऐसा क्या संयोग है कि चेयरमैन और नेताओं की बेटी और रिश्तेदारों का चयन हो गया। कोर्ट ने पूछा है कि क्या ये सारी नियुक्तियां हो चुकी हैं। डिवीजन बेंच ने उनकी नियुक्ति पर रोक लगाने के लिए कहा है। वहीं सरकार की ओर से खुद जांच कर जवाब देने की बात कही गई है। मामले में अगली सुनवाई अब 5 अक्टूबर को होगी।
भाजपा विधायक और याचिकाकर्ता ननकीराम कंवर के एडवोकेट संजय कुमार अग्रवाल ने याचिका में संशोधन का आग्रह किया और कुछ तथ्यों में बदलाव करने की बात कही। यह बात भी सामने आई कि याचिका में वर्ष 2020 में हुई नियुक्ति के भी तीन नाम को जोड़ दिया गया है, जिस पर डिवीजन बेंच ने ऐतराज जताया।
कोर्ट में आज क्या-क्या हुआ?
चयनित प्रतियोगियों ने कहा कि पांच नियुक्तियां हो चुकी है, ऐसे में रोक सही नहीं। कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को छोड़कर शेष लिस्ट की नियुक्ति पर रोक लगाई।
यह तथ्य भी सामने आया है कि जिस नितेश सिंह को पीएससी चेयरमैन टामन सिंह का बेटा बताया जा रहा था वो सरपंच रहे राजेश का बेटा है।
यह सुनकर चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता के वकील पर नाराजगी जताई। इसी तरह प्रज्ञा नायक की तरफ से भी हस्तक्षेप आवेदन प्रस्तुत किया गया है।
शासन ने कहा- जांच कराएंगे, तब तक आगे नियुक्ति नहीं
केस में शासन की तरफ से सरकारी वकील ने समय मांगा और कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार इस मामले को देख रही है। नियुक्ति की जांच भी कराई जा रही है। अभी महाधिवक्ता बाहर हैं। उनके आने के बाद इस पूरे मामले में विस्तार से जवाब पेश किया जाएगा। वहीं राज्य सरकार की ओर से बताया गया है कि प्रकरण की स्वयं जांच कर कोर्ट के सामने जवाब पेश करेंगे।
यह भी बताया गया है कि जब तक मामले की अगली सुनवाई नहीं हो जाती तब तक इस विषय को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा। जिन व्यक्तियों पर आक्षेप लगा है और उनकी नियुक्ति नहीं हुई है, उसको आगे अंतिम रूप नही दिया जाएगा। जिनकी नियुक्तियां हो चुकी है वह यथा स्थिति कोर्ट के आदेश के अधीन रहेगी।
पीएससी से हट गए सोनवानी, नए नाम की तलाश
इधर हाईकोर्ट में बहस चल रही है और उधर पीएससी के चेयरमेन की तलाश तेज हो गई है। टामन सिंह सोनवानी ने रिजल्ट जारी होने के दूसरे दिन ही पद छोड़ दिया था। क्योंकि भर्तियां विवादों में आ गई। नए अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर सीएम सचिवालय तक फाइल पहुंच गई है। इसमें रायपुर कमिश्नर संजय अलंग, आईएएस रीता शांडिल्य व जीआर चुरेंद्र के नाम भी चर्चा में हैं।
पीएससी घोटाले पर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई और टिप्पणी के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि, यह राज्य सरकार के गाल पर एक जोरदार तमाचा है। प्रदेश के युवा और भाजपा लगातार इस घोटाले को लेकर आवाज उठा रही थी, लेकिन राज्य की भ्रष्टाचारी सरकार ने इस पर जांच के आदेश नहीं दिए। अब कोर्ट के निर्णय के बाद यह सरकार सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुकी है।
कल हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने क्या कहा?
चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने पूछा कि प्रकरण में PSC चेयरमैन को पक्षकार क्यों नहीं बनाया गया है? (एडवोकेट संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि चेयरमैन संवैधानिक पद है, जिसके कारण उन्हें पक्षकार नहीं बनाया गया है।)
चीफ जस्टिस ने कहा, PSC सहित दूसरी संस्था में अधिकारी के बच्चे का चयन होना स्वाभाविक है। लेकिन, ऐसा क्या संयोग है कि PSC के चेयरमैन के करीबी रिश्तेदारों का चयन हुआ है। यह बहुत गलत बात है।
कोर्ट ने कहा कि इनकी नियुक्ति रोक दीजिए। डिवीजन बेंच ने चेयरमैन, अधिकारी और सत्ताधारी दल के नेताओं के करीबियों के 18 पदों की नियुक्ति की जांच कराने के निर्देश भी दिए हैं।
ननकी राम ने पीएससी भर्ती पर हाईकोर्ट में की याचिका दायर
पूर्व गृहमंत्री और भाजपा के सीनियर विधायक ननकीराम कंवर ने एडवोकेट संजय कुमार अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सवाल किया है कि CG-PSC में अधिकारी और नेताओं के बेटे-बेटियों सहित रिश्तेदारों को डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी जैसे पद दिए गए हैं।
विधायक ननकी राम कंवर ने सीजीपीएससी भर्ती प्रक्रिया में याचिका दायर कर अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप लगाया है।
अफसरों के रिश्तेदारों को अच्छा पद बांटने और दूसरे प्रतियोगियों को छोटे पद देने के आरोप लगाए हैं।
राजभवन के सचिव अमृत खलको के बेटे और बेटी के डिप्टी कलेक्टर, PSC चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी, कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला के रिश्तेदारों के सिलेक्शन पर सवाल उठाए हैं।
कहा है कि PSC में जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों ने सिर्फ रेवड़ियों की तरह नौकरियां नहीं बांटी बल्कि इसकी आड़ में करोड़ों का भ्रष्टचार भी किया है।