पुलिस कर्मचारी के बयान पर तब तक अविश्वास नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि कोई युक्तियुक्त कारण न हो
कोरबा। पर्याप्त साक्ष्य के अभाव अथवा गवाह के मुकर जाने से अक्सर आरोपी न्यायालय से दोष मुक्त हो जाते हैं, किंतु कोरबा जिले के दो मामलों में तत्कालीन विवेचक ने इस तरह की संभावना के मद्देनजर पुलिस कर्मचारियों का कथन कराया और इसके आधार पर आरोपी दोष सिद्ध साबित हुआ।
थाना लेमरू जिला कोरबा में माह जुलाई वर्ष 2023 में घटित हत्या के 02 मामलों में न्यायालय द्वारा आरोपियों को आजीवन कारावास एवं सश्रम कारावास की सजा से दंडित किया गया है। प्रकरण के प्रत्यक्षदर्शी साक्षी आरोपी के रिश्तेदार एक ही गांव के होने से अपने बयान से मुकर गए , विवेचना अधिकारी द्वारा विवेचना टीम में शामिल आरक्षक को मेमोरेंडम , जप्ती एवं गिरफ्तारी का गवाह बनाया गया था। न्यायालय में पुलिस आरक्षक द्वारा कार्यवाही की पुष्टि की गई,न्यायालय द्वारा पुलिस अधिकारियों के बयान के आधार पर आरोपियों को दंडित किया गया। मामले में विवेचना अधिकारी द्वारा विवेचना में एक नया प्रयोग किया गया जो सफल रहा ।
अमूमन देखा जाता है कि गंभीर से गंभीर मामलों में भी प्रकरण के चश्मदीद साक्षी अपने बयान से मुकर जाते हैं , जिसके कारण आरोपी दोषमुक्त हो जाते हैं। पुलिस द्वारा विवेचना में किए गए उपरोक्त नवाचार को यदि सभी पुलिस अधिकारियों द्वारा अनुकरण किया जाए तो ऐसे गंभीर मामले के अपराधियों का सजा से बच पाना असंभव होगा ।
प्रकरण की मजबूत विवेचना थाना लेमरू में पदस्थ रहे तत्कालीन थाना प्रभारी उप निरीक्षक कृष्णा साहू द्वारा किया गया है। उप निरीक्षक कृष्णा साहू वर्तमान में बिलासपुर जिले के थाना सरकंडा में पदस्थ हैं।
0 गवाहों ने आरोपी के विरुद्ध नहीं दिया बयान
आदेश में कहा गया है कि प्रकरण में विचारण के दौरान उपरोक्त साक्षीगण ने अभियोजन का समर्थन नहीं किये एवं अभियुक्त के विरुद्ध कोई कथन नहीं किये क्योंकि वे अभियुक्त के परिचित, गांव, समाज के हैं और वे नहीं चाहते हैं कि अभियुक्त को सजा हो। ऐसी स्थिति में स्वतंत्र साक्षीगण द्वारा अभियोजन का समर्थन नहीं किया जाना स्वाभाविक है। उपरोक्त साक्षीगण द्वारा अभियुक्त के विरुद्ध कोई कथन नहीं किये जाने से उपनिरीक्षक कृष्णा साहू एवं आरक्षक संजय चन्द्रा के अभिसाक्ष्य को अविश्वास नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उपनिरीक्षक कृष्णा साहू के अभिसाक्ष्य से दर्शित है कि उसने साक्षीगण के समक्ष अभियुक्त का मेमोरेण्डम कथन लेखबद्ध कर उसके निशानदेही से जप्ती कार्यवाही किया है। उक्त पुलिस अधिकारी एक लोकसेवक है जो अपने पदीय कर्तव्य के निर्वहन में अभियुक्त का मेमोरेण्डम कथन लेखबद्ध कर जप्ती कार्यवाही किया है। उक्त अभियोजन साक्षी के साक्ष्य को मात्र पुलिस अधिकारी के साक्ष्य होने के आधार पर अविश्वास किये जाने का कोई युक्तिसंगत आधार विद्यमान नहीं है। उक्त साक्षी द्वारा अभियुक्त की ली गयी मेमोरेण्डम कथन एवं जप्ती कार्यवाही की पुष्टि आरक्षक संजय चन्द्रा के अभिसाक्ष्य से भी होता है। उक्त साक्षीगण के अभिसाक्ष्य को प्रतिपरीक्षण में खंडन नहीं किया जा सका है। ऐसी स्थिति में बचाव पक्ष द्वारा किया गया तर्क स्वीकार योग्य नहीं है। एफएसएल परीक्षण रिपोर्ट में भी अभियुक्त के निशानदेही से जप्त डण्डे में रक्त पाया गया है। साक्ष्यों के उपरोक्त विवेचना से यह निष्कर्ष निकलता है कि अभियोजन द्वारा अभियुक्त के विरुद्ध धारा 450, 302 भादंसं का अपराध युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित किया गया है। अतः अभियुक्त को धारा 450. 302 भादंसं के अपराध में दोषी पाते हुए दोषसिद्ध किया जाता है।
0 यह है पूरा मामला
मामला इस प्रकार है कि प्रार्थी तुलसराम मंझवार पिता पंचराम मंझवार, निवासी ग्राम नकिया मांझापारा, थाना लेमरु घटना दिनांक 30 जुलाई 2023 को नांगर जोतने खेत तरफ औरईबहार गया था। शाम करीब 6 बजे वापस घर आया तो देखा कि उसकी साली सीतो और साढू प्रहलाद मंझवार उसके घर आये हुए थे। उसकी पत्नी सरोज बाई घर पर नहीं दिखी तो साली सीतो बाई से पूछा जो बतायी कि दोपहर करीब 3 बजे छोटू उर्फ समार साय ने डण्डा से सरोज बाई को मारा है जो कि घर के पीछे परछी में सोयी है। परछी में जाकर पत्नी सरोज बाई को जगाकर पूछा तो वह बतायी कि दोपहर करीब 3 बजे मजाक में मानकुंवर को एक डण्डा मारी थी, इसी कारण उसका पति छोटू उर्फ समार साय डण्डा से बहुत मारा है, शरीर में चोट लगा है, दर्द हो रहा है इसलिए सो रही है। उसी रात्रि करीब 9 बजे तुलसराम अपनी पत्नी को खाना खाने के लिये उठाया तो नहीं उठी, मर गयी थी।
प्रार्थी तुलसराम मंझवार की सूचना पर थाना लेमरु द्वारा अपराध क्रमांक 09/2023 धारा 302 के तहत FIR दर्ज कर प्रकरण विवेचना में लिया गया। विवेचना उपरांत मामला विचारण हेतु न्यायालय में प्रस्तुत किया। न्यायालय तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश, (पीठासीन न्यायाधीश अश्वनी कुमार चतुर्वेदी) ने आरोपी समार साय मंझवार उर्फ छोटू पिता मनबोध सिंह मंझवार, 27 वर्ष ग्राम नकिया, मांझापारा लेमरु को दोषसिद्ध पाया। प्रकरण के तथ्य एवं संपूर्ण परिस्थिति को दृष्टिगत रखते हुए अभियुक्त को धारा 450, 302 भादंसं के अपराध में क्रमशः 07 वर्ष के सश्रम कारावास, आजीवन सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड क्रमशः 500/- रुपये, 500/- रुपये से दंडित किया गया है। अर्थदण्ड के व्यतिक्रम में क्रमशः 2 -2 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगताया जावेगा। अभियुक्त को कारावास की दोनों सजाएं साथ-साथ भुगतायी जावेगी।
0 पत्नी की हत्या कर गुमराह किया,गवाह भी मुंह नहीं खोले
एक अन्य मामले में आरोपी पुरान सिंह कंवर द्वारा घटना दिनांक 12.07.2023 के रात्रि 10 बजे से 13.07.2023 के सुबह 6 बजे के मध्य लेमरू थाना अंतर्गत ग्राम गढ़ उपरोड़ा खालपारा जंगल में पत्नी विश्वा देवी कंवर के साथ विवाद करते हुए हत्या कर दिया था। विश्वा देवी कंवर को जंगल में पड़े सरई लकड़ी के डण्डा से मारकर मृत्यु कारित कर हत्या किया और उक्त अपराध में प्रयुक्त डण्डे एवं अपने खून लगे कपड़े को अपने घर के कमरे में छिपाकर साक्ष्य को मिटाने का प्रयास किया।
दूसरी तरफ थाना लेमरु में रिपोर्ट दर्ज कराया कि वह घटना दिनांक को सुबह 8 बजे नांगर जोतने अपने खेत गया था। जब खेत से दोपहर 12 बजे घर वापस आया तो उसकी पत्नी घर पर नहीं थी, सराई पत्ता तोड़ने जंगल गयी थी। शाम 04 बजे तक वह वापस नहीं आयी तब उसे ढूंढने के लिये जंगल तरफ गया, तब खेत किनारे उसकी पत्नी बेहोश पड़ी थी जिसे वह हाथ गाड़ी में लेकर घर आया। उसके बाद उसकी पत्नी थोड़ा होश में आयी थी, जिसे वह थोड़ा सा खाना खिलाया। उसके बाद वह बोली कि उसे नींद आ रहा है, वह सोयेगी। उसके बाद वह डुबान तरफ मछली पकड़ने चला गया। वह शाम 07 बजे घर आया तो मोहल्ले की मंहिलायें उसकी पत्नी को सेंकाई एवं मालिश कर रही थी। रात 10 बजे तक वह बातचीत कर रही थी। सुबह लगभग 04 बजे उसकी मृत्यु हो गयी थी। पुरान सिंह के उक्त सूचना के आधार पर थाना लेमरु द्वारा अकाल एवं आकस्मिक मृत्यु की सूचना दर्ज कर मृतिका शव परीक्षण कराया। मर्ग जांच पर अभियुक्त के विरुद्ध तथ्य आने पर अभियुक्त के विरुद्ध थाना लेमरु में अपराध क्रमांक 08/2023 धारा 302, 201 भादंसं का प्रथम सूचना पत्र दर्ज किया जाकर प्रकरण विवेचना में लिया गया। न्यायालय में विचरण के दौरान आरोपी के विरुद्ध गवाह होने बयान नहीं दिया ताकि उसे सजा न होने पाए लेकिन विवेचना के दौरान पुलिसकर्मी के कराए गए साक्ष्य को न्यायालय ने गंभीरता से लिया और तथ्यों के आधार पर अभियुक्त को धारा 302, 201 के अपराध में क्रमशः आजीवन सश्रम कारावास, 3 वर्ष के सश्रम कारावास एवं क्रमशः 500/- रुपये, 500/- रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है। अर्थदण्ड के व्यतिक्रम में अभियुक्त को क्रमशः 02 माह, 02 माह के अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतायी जावेगी।