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कोरबा। बांकीमोगरा क्षेत्र का रहने वाला पेशे से किसान अपनी पत्नी संगीत देवी (बदला हुआ नाम) के लगभग डेढ़ साल से पेट में दर्द से परेशान था। सामान्य पेट दर्द समझ कर आस पास के ही डाक्टर से दवा लेकर खिला देता था। इससे कुछ दिन के लिए आराम तो मिल जाता था लेकिन कुछ दिनों बाद फिर से परेशानी बढ़ जा रही थी। पत्नी की इस बीमारी को लेकर वह काफी परेशान हो चुका था। जब पत्नी को लेकर दूसरे जिले के बड़े अस्पताल पहुंचा तो उसे मालूम हुआ कि पेट में गांठ बना हुआ है। इसका एक ही उपाय था जो बिना सर्जरी के बाहर नहीं निकाला जा सकता था।
डॉक्टर ने गांठ (ट्यूमर) बताते हुए ऑपरेशन की सलाह दी। पति ने उक्त बातें परिजनों को बताया और परिजन की सलाह मानते हुए पत्नी को न्यू कोरबा हॉस्पिटल में महिला चिकित्साक व सर्जन डॉक्टर ज्योति श्रीवास्तव को दिखाया। डॉक्टर श्रीवास्तव ने महिला के पेट का आकार देखकर सोनोग्राफी कराया तो पता चला कि मरीज के पेट में काफी बड़ा ट्यूमर है जिसे सर्जरी के द्वारा ही निकाला जा सकता है। सर्जरी के लिए मरीज के परिजनों को बताया गया और उनसे सहमति लेकर पूरी सावधानी के साथ ऑपरेशन किया गया। सर्जरी के दौरान यह पता चल गया था कि ट्यूमर पूरे पेट में फैल रहा है जो खून की नसों और आंत के अलावा शरीर के दूसरे अंगों के साथ जुड़ गया था। सर्जरी के बाद मरीज पूर्णतः स्वस्थ है।
स्त्री रोग विशेषज्ञ ने बताया कि सबसे गंभीर बात यह है कि मरीज के पेट में दर्द जैसी तकलीफ को लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाता रहा। इस वजह से ट्यूमर बढ़ता चला गया और वह डेढ़ किलो से ऊपर भ्रूण के बराबर भारी हो चुका था। उसे मेनोरेगिया (मासिक धर्म में असामान्य रूप से उच्च रक्तस्राव) के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया था।
*ट्यूमर खून की नसों और आंत से चिपकने की वजह से बढ़ गया था खतरा*
बीमारी के बारे में डॉ. ज्योति श्रीवास्तव को पता चला कि महिला को गर्भाशय के नीचे कई वर्षों से दर्द हो रहा था। उस वक्त इस बात को गंभीरता से नहीं लिया गया। डॉक्टरों ने जब जांच की तो पता चला कि वह ट्यूमर काफी बड़ा हो गया था और पेट के कई हिस्सों तक फैल गया था और खून की नसों और आंत से भी चिपका हुआ था। इससे मरीज की जान को खतरा बढ़ गया था इसलिए उसकी सर्जरी जटिल थी।
चार घंटे चली सर्जरी, परिजन ने जताया आभार
न्यू कोरबा अस्पताल के गायनोकोलॉजी विभाग के वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. ज्योति श्रीवास्तव ने बताया कि ट्यूमर रक्त कोशिकाओं से भरा हुआ था। इस वजह से ऑपरेशन के दौरान मरीज को अत्यधिक रक्तस्राव होने का खतरा भी था। इसके अलावा ट्यूमर का कारक होने के कारण एक साथ पूरा निकालना जरूरी था। इसलिए पहले लेप्रोस्कोपी तकनीक से एक छोटा छेद कर महत्वपूर्ण अंगों से जुड़े ट्यूमर की रक्त कोशिकाओं को अलग किया गया। इसके बाद ओपन सर्जरी तकनीक से ट्यूमर को निकाल लिया गया। अब मरीज पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर अपने घर जा चुकी है। वहीं परिजन स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्योति श्रीवास्तव सहित एनकेएच टीम का आभार जताया है।