120। मेगावॉट कि दोनों इकाइयों के लिए 45 साल पहले स्थापित की गई थी चिमनी
अविभाजित मध्य प्रदेश में मध्य प्रदेश विद्युत मंडल कार्यकाल में भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (बीएचईएल) के सहयोग से कोरबा पूर्व ताप विद्युत संयंत्र परिसर में वर्ष 1976 में 120 मेगावाट की एक इकाई क्रमांक पांच व 1981 में दूसरी इकाई क्रमांक छह स्थापित की गई थी। ऊर्जाधानी के रूप में कोरबा को मिली यह पहचान नए संयंत्रों के स्थापना के साथ बनी रही, पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पूर्व संयंत्र से प्रदूषण अधिक होने पर एतराज जताते हुए बंद करने सिफारिश राज्य सरकार से की थी। इस संयंत्र को चालू रखने दोनों इकाइयों का नवीनीकरण वर्ष 2005 में 300 करोड़ से भी ज्यादा राशि खर्च कर किया गया और फिर पुन: पूरी क्षमता से विद्युत उत्पादन होने लगा।
बाद में प्रदूषण के मापदंड के नियम कड़े होने पर इकाइयों का परिचालन में दिक्कत आने लगा और आखिरकार कंपनी ने इन दोनों इकाइयों को 31 दिसंबर 2020 की रात 12 बजे बंद कर दिया। इसके साथ इकाई का कबाड़ को बेच दिया गया। कबाड़ खरीदने वाली कंपनी द्वारा वर्तमान में लगातार सामान निकाल रही है और संयंत्र के पुराने भवन के भी गिरा रही है। सोमवार को कंपनी ने 120 मेगावाट इकाई की 125 मीटर ऊंची चिमनी को दोपहर 2.24 बजे गिरा दिया। कंपनी द्वारा पहले चिमनी के निचले हिस्से को मशीन लगा कर काटा गया, इसके बाद चिमनी को एक तरफ झुकाते हुए नीचे गिरा दिया गया।
यहां बताना होगा कि 120 मेगावाट संयंत्र का कबाड़ कोलकाता की एक कंपनी ने लगभग 175 करोड़ रूपये में खरीदा है। संयंत्र परिसर में अब केवल 50-50 मेगावाट (200 मेगावाट) इकाइयों की 120 मीटर ऊंची चिमनी ही शेष रह गई है। जानकारों का कहना है कि उक्त चिमनी को भी गिराने के लिए कार्य शुरू कर दिया गया है।