स्कूल ड्रॉप आउट की लिस्टिंग कर शिक्षा विभाग को बाल विवाह की कुप्रथा को समाज से खत्म की जिम्मेदारी…..राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जारी की गाइडलाइन, शिक्षा विभाग को दी गई जिम्मेदारी

स्कूल ड्रॉप आउट की लिस्टिंग कर शिक्षा विभाग को बाल

कोरबा। बाल विवाह की कुप्रथा को समाज से खत्म करने एक बार फिर कमर कस ली गई है। इस बार जिला शिक्षा विभाग को भी शामिल करते हुए अहम जिम्मेदारियां दी जा रही हैं। राष्टÑीय बाल संरक्षण आयोग ने स्कूल छोड़ चुने 15 से 18 वर्ष तक के ड्रॉप आउट किशोर व युवाओं को विशेष तौर पर चिन्हांकित करने के निर्देश शिक्षा विभाग को दिए हैं। इनकी लिस्टिंग कर अपेक्षा के अनुरूप जागरुकता की कवायद की जाएगी। अपेक्षाकृत कम शिक्षिक युवाओं-किशोर व उनके परिवारों को बाल विवाह के दुष्परिणाम से अवगत कराते हुए समाज को नई दिशा देने के प्रयास किए जाएंगे।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली द्वारा बच्चों के देखरेख व संरक्षण को ध्यान में रखते हुए बाल विवाह रोकथाम विषय एक दिवसीय बैठक सह कार्यशाला आयोजित की गई। 15 से 18 वर्ष की आयु के स्कूल ड्राप आउट बालक बालिकाओं को चिन्हांकित करते हुए बाल विवाह न हो, इसके लिए शिक्षा विभाग को आवश्यक कार्यवाही करने की दिशा में निर्देशित किया गया। साथ ही उपरोक्त सम्बन्ध में सभी विभागों द्वारा व्यापक प्रचार-प्रसार करने हेतु निर्देश दिया गया। बाल विवाह की रोकथाम विषय पर आयोजित उपरोक्त एक दिवसीय बैठक सह कार्यशाला में मुख्य रूप से अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी विजेंद्र सिंह पाटले, जिला शिक्षा अधिकारी जी पी भारद्वाज, सहायक श्रम आयुक्त राजेश कुमार आदिले, जिला बाल संरक्षण अधिकारी दया दास महंत, एकीकृत बाल विकास परियोजना अधिकारी श्रीमती रागिनी बैस, बाल कल्याण समिति की सदस्य श्रीमती बीता चक्रबर्ती, जिला शिक्षा विभाग से परियोजना समन्वयक मोहम्मद जावेद अख्तर, वर्ल्डविजन संस्था से जिला परियोजना समन्वयक अनिल देवांगन उपस्थित रहे।

अब सीधे कार्यवाही कर सकेंगे सरपंच-पार्षद
आयोग ने जनप्रतिनिधियों को भी इस प्रयास में सीधे शामिल करते हुए कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। इसमें कहा गया है कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिले में प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर, वार्ड स्तर, नगरीय निकाय स्तर पर पंचायत व वार्ड स्तर पर सरपंच पार्षद, अन्य सभी सम्बंधित प्रतिनिधियों को बाल विवाह रोकथाम के लिए कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए। साथ ही पंचायत व वार्ड स्तर पर सरपंच पार्षदों के माध्यम से क्षेत्र में लोगों को जागरूक किए जाने के लिए निर्देशित किया गया।

ऐसे समझें बेटियों पर बाल विवाह के दुष्परिणाम
बाल विवाह का सीधा असर न केवल कम उम्र की बालिकाओं व किशोरियों पर, बल्कि उनके परिवार और समुदाय पर भी होता हैं। जिस किशोरी बालिका की शादी कम उम्र में कर दी जाती है, उसके स्कूल से निकल जाने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में उसके सपने चकनाचूर हो जाते हैं और शिक्षा से महरूम होकर जीवन को सही दिशा नहीं मिल पाती। कई बार आर्थिक मुश्किलों के चलते उसके कमाने और समुदाय में योगदान देने की क्षमता कम हो जाती है। उसे घरेलू हिंसा तथा एचआईवी, एड्स का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है।