संसार में जन्म लेते ही मनुष्य प्रश्न करता है मैं कौन हूं …. अमरैयापारा विष्णु कुंज में श्रीमद्भागवत कथा उल्लास

कोरबा।संसार में जन्म लेते ही मनुष्य प्रश्न करता है मैं कौन हूं
0 अमरैयापारा विष्णु कुंज में श्रीमद्भागवत कथा उल्लास
कोरबा(नईदुनिया प्रतिनिधि)। नौ माह तक मां के गर्भ में रहने के बाद जब मनुष्य जन्म लेता है, तब वह अपने रूदन स्वर में प्रश्न करता है कि को अहम यानि मैं कौन हूं। इस प्रश्न का उत्तर उसे अपने माता-पिता व परिवार के क्रिया कलाप चरित्र से मिलता है। सज्ञान होने के बाद से ही उसमें परिवार का संस्कार ढलने लगता। माता-पिता और परिवार ही बच्चे के संस्कार के लिए उत्तरदायी हैं।
यह बात पंडित अनिल शुक्ला ने शारदा विहार अमरैयापारा के विष्णुकुंज में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा आयोजन के दौरान व्यासमंच से कही। आचार्य ने भागवत के तीसरे दिन की कथा में धु्रव चरित्र, पृथुनाथ व जड़भरत की कथा का व्याख्यान किया। उन्होने कहा कि बच्चाें में वास्तविक संस्कार की शुरूआत उसके घर व परिवार से होती है। उसके व्यवहार में माता पिता के दीक्षा और शिक्षा का असर शुरू होने लगता है। वर्तमान शिक्षा नीति पर कटाक्ष करते हुए उन्होने कहा कि विद्यालय में दाखिल लेने वाले प्राथमिक कक्षा के बच्चे से अधिक उसके बस्ते का बोझ होता है। भौतिकवादी शिक्षा के फेर में वह माया के वशीभूत शिक्षा के तनाव में आधी जीवन को व्यतीत कर देता है। शिक्षा पूरा होने के उसके दिमाग नौकरी की चिंता सताने लगती है। योग्य काम नहीं मिलने पर विवाह के लिए कन्या की समस्या खड़ी होती। उन्होनेे कहा कि भागवत कथा में ध्रुव चरित्र से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि जिस तरह से मां की शिक्षा से ध्रुव ने कम आयु में ईश्वर को प्राप्त कर लिया। उसी तरह बच्चों जीवन यापन के लिए ही नहीं बल्कि आध्यात्म की भी शिक्षा देनी चाहिए। कथा आयोजन को लेकर गुप्ता परिवार से सहित क्षेत्र वासियों में उल्लास देखा जा रहा है। शुक्रवार को कथा आयोजन के चौथे दिन प्रहलाद, वामन, राम चरित्र व कृष्ण जन्मोत्सव कथा का व्याख्यान किया जाएगा।