राखड़ फेंकने वाले ब्लेक स्मिथ को संरक्षण देने वालों की हो जांच……पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने प्रधान मंत्री को लिखा पत्र

निर्धारित मापदण्डों की अवहेलना से क्षेत्र में वायु प्रदूषण की समस्या से त्रस्त नागरिकों को राहत दिलाने किया आग्रह।
200 करोड़ का परिवहन ठेका, नियमों का नहीं किया पालन।
सलाना लगभग 55 लाख टन हो रहा रखड़ का उत्सर्जन, निपटान की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं।
विगत एक साल के भीतर दमा से पीड़ितों की संख्या में बेतहासा वृद्धि हुई है और केवल कोरबा जिला मेडिकल कॉलेज में ही 5000 से अधिक मरीजों ने उपचार लेने किया संपर्क।

कोरबा 22 दिसम्बर । प्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी सहित केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव व प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर कोरबा में बढ़ते प्रदूषण की समस्या पर चिंता जाहिर किया है।  राखड़ डैम भर चुके होने की वजह से उसे खाली करने ब्लेक स्मिथ कम्पनी को परिवहन का कार्य सौंपा गया, वर्ष 2021 से 2023 तक 1 लाख 20 हजार टन से अधिक राख का परिवहन किया गया। करीब 200 करोड़ रूपये का भुगतान इसके एवज में किया गया है। निर्धारित लो-लाईन ऐरिया की जगह, परिवहन भाड़ा बचाने के लिए ट्रांसपोर्ट कम्पनी ने राखड़ सड़क मार्ग से खुले डम्परों के माध्यम से परिवहन कर आस-पास के क्षेत्रों अथवा जंगलों में या फिर सुनसान क्षेत्रों में सड़क किनारे कहीं पर भी डम्प कर दिया। एनजीटी के नियमों का पालन कराने की प्रमुख जवाबदारी बालको प्रबंधन की है परन्तु खुली छूट दिए जाने की वजह से क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आखिर यह छूट किसके संरक्षण में दी जा रही। कई शिकायतों के बाद भी आखिर अब तक कम्पनी के खिलाफ कोई प्रभावशाली कार्यवाही क्यों नहीं हुई। परदे के पीछे से किस तरह के प्रभावशाली ताकतें काम कर रही हैं, इसकी निष्पक्ष जांच केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा कराई जानी चाहिए ताकि स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रह गुनहगारों का चेहरा सामने आ सके।
पूर्व मंत्री अग्रवाल ने यह अवगत कराया है कि बालको में आज भी भारत सरकार की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि भारत सरकार से बालको प्रबंधन को मनमानी करने की पूरी छूट मिली हुई है। बालको कम्पनी का आधिपत्य ग्रहण करने के बाद वेदांत प्रबंधन ने संयंत्र विस्तार योजना के अन्तर्गत एल्यूमिनियम उत्पादन क्षमता में वृद्धि के साथ ही 540 और 1200 मेगावॉट सहित कुल 1740 मेगावॉट क्षमता के दो विद्युत संयंत्रों को स्थापित किया है। पत्र में लिखा गया है कि बालको से लगभग 15 हजार टन राख प्रतिदिन की दर से हर साल लगभग 55 लाख टन राखड़ का उत्सर्जन हो रहा है। कोरबा में बालको के अलावा और भी अनेक विद्युत संयंत्र हैं और बिजली घरों से निस्तारित फ्लाई ऐश के निपटान के लिए अन्य सभी संयंत्रों की कोई न कोई वैकल्पक व्यवस्था है लेकिन बालको प्रबंधन ने इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं किया है। फ्लाई ऐश के निपटान के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राख के शत-प्रतिशत यूटिलाइजेशन के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए हैं लेकिन बालको प्रबंधन द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। ऐसा होने से न केवल उस स्थान विशेष की मिट्टी खराब हो रही है वरन् हवा के झोंकों से खुले में पड़ी हुई राख के गुबार एक बड़े क्षेत्र के निवासियों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर रहे है और क्षेत्रवासियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। विगत एक साल के भीतर दमा से पीड़ितों की संख्या में बेतहासा वृद्धि हुई है और केवल कोरबा जिला मेडिकल कॉलेज में ही 5000 से अधिक मरीजों ने उपचार लेने किया संपर्क। राख डंप करने के मामले में एनजीटी और भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने दिशा निर्देश जारी किया है लेकिन इसका पालन करना बालको प्रबंधन अपनी शान के खिलाफ समझता है।

पत्र में उल्लेख किया गया है कि इस संबंध में पूर्व में अंचल के अनेक जनप्रतिनिधियों ने संबंधित अधिकारियों का ध्यानाकर्षण कराया लेकिन बालको प्रबंधन के रवैये में किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं आया। फ्लाई ऐश की गंभीर समस्या से पीड़ित अंचल के आम नागरिकों से लगातार बड़े पैमाने पर मिल रही शिकायतों के आधार पर छत्तीसगढ़ सरकार के कैबिनेट मंत्री की हैसियत से अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ वर्ष 2022 में मैंने बालको प्रबंधन के ऐश डाईक का स्थल पर जाकर व्यक्तिगत निरीक्षण किया और बालको प्रबंधन के उच्चाधिकारियों को मौके पर बुलवाकर इस तरह की मनमानी करने से मना करते हुए राखड़ का सही निपटान करने के लिए अनेक सुझाव भी दिया था। व्यापक पैमाने पर चर्चा के बाद व्यवस्था को सुधारने के लिए उन्हें एक महीने का समय दिया गया था लेकिन आज पर्यंत बालको के रवैये में किसी प्रकार का बदलाव नहीं आया है।

 

श्रमिकों के शोषण के विरूद्ध आंदोलन की चेतावनी
बालको में कार्यरत कंपनीयो द्वारा दमनात्मक नीतियां अपनाते हुए निरंतर श्रमिकों का शोषण जारी है और श्रम कानूनों के तहत उनके अधिकारों का हनन किया जा रहा है, जिसके अन्तगर्त वेतन वृद्धि में कटौती के साथ ही नियमित कर्मचारियों के स्थान पर अस्थाई तौर पर नियोजित कामगारों की तैनाती कर श्रमिकों का शोषण किए जाने के संबंध में  प्रबंधन को व्यवस्था में सुधार लाने के लिए आगाह किया गया है अन्यथा कड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई है।