महामारी में नया खतरा ‘ब्लैक फंगस’:​​​​​​​बिलासपुर CIMS में म्यूकर माइकोसिस पीड़ित दो महिलाओं सहित 3 मरीज भर्ती, 2 की हालत गंभीर

 

प्रदेश में ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस के 40 से ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग का अनुमान है कि एक से दो माह में 100 मरीज और आ सकते हैं। – Dainik Bhaskar
प्रदेश में ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस के 40 से ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग का अनुमान है कि एक से दो माह में 100 मरीज और आ सकते हैं।
छत्तीसगढ़ में लगातार ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस (mucormycosis) के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अब सोमवार को बिलासपुर स्थित CIMS में दो महिलाओं सहित 3 मरीजों को भर्ती किया गया है। इसमें दो मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है। तीनों ही मरीज कोरोना संक्रमित होने के बाद ठीक हो गए थे। इसके बाद इनको दिक्कत शुरू हुई है। प्रदेश में अभी तक ब्लैक फंगस के 40 से ज्यादा मरीज भर्ती हो चुके हैं।

CIMS प्रबंधन की ओर से बताया गया है कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी की आशंका। ऐसे में उपचार की व्यवस्था की गई है।
CIMS प्रबंधन की ओर से बताया गया है कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी की आशंका। ऐसे में उपचार की व्यवस्था की गई है।
जानकारी के मुताबिक, सोमवार शाम करीब 4 बजे तीनों मरीजों को CIMS लाया गया है। इनमें रतनपुर की 40 वर्षीया महिला, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले की 35 साल की महिला और जांजगीर के अकलतरा निवासी 50 साल का पुरुष मरीज शामिल है। CIMS प्रबंधन की ओर से बताया गया है कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी की आशंका। ऐसे में उपचार की व्यवस्था की गई है

म्यूकरमाइकोसिस का इलाज:ब्लैक फंगस के 40 मरीज भर्ती, आर्डर के बाद भी इंजेक्शन की सप्लाई नहीं
स्वास्थ्य सहायता योजना में आ सकता है ब्लैक फंगस:गंभीर संक्रमण की स्थिति में 21 दिन में 50 इंजेक्शन की जरूरत, एक इंजेक्शन की कीमत 5 हजार से अधिक, अब सरकार करेगी खरीदी

भिलाई व महासमुंद में युवकों की मौत, दो माह में 100 मरीजों का अनुमान
प्रदेश में ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस के 40 से ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग का अनुमान है कि एक से दो माह में 100 मरीज और आ सकते हैं। इस हिसाब से मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था की जा रही है। दूसरी ओर इस बीमारी में कारगर एंफोटेरेसिन-बी इंजेक्शन की सप्लाई नहीं हो रही है। जबकि रोज 100 इंजेक्शन की मांग है। भिलाई और महासमुंद में एक-एक मरीज की मौत भी हो चुकी है।

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ब्लैक फंगस नई बीमारी नहीं, कोरोना के चलते बढ़े मामले
इस फंगल इन्फेक्शन का सही समय पर इलाज न किया जाए तो आंखों की रोशनी जाने के अलावा मौत भी हो सकती है। साइनस से होते हुए आंखों को अपनी चपेट में लेने वाले इस फंगल इन्फेक्शन को शरीर में और फैलने से रोकने के लिए डॉक्टर को सर्जरी करके इन्फेक्टेड आंख या जबड़े का ऊपरी एक हिस्सा निकालना पड़ता है। यह नया इन्फेक्शन नहीं है। यह माइक्रोमायसीट्स नाम के फंगस से कारण होता है।

प्रदेश में ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस के 40 से ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग का अनुमान है कि एक से दो माह में 100 मरीज और आ सकते हैं। – Dainik Bhaskar
प्रदेश में ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस के 40 से ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग का अनुमान है कि एक से दो माह में 100 मरीज और आ सकते हैं।
छत्तीसगढ़ में लगातार ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस (mucormycosis) के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अब सोमवार को बिलासपुर स्थित CIMS में दो महिलाओं सहित 3 मरीजों को भर्ती किया गया है। इसमें दो मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है। तीनों ही मरीज कोरोना संक्रमित होने के बाद ठीक हो गए थे। इसके बाद इनको दिक्कत शुरू हुई है। प्रदेश में अभी तक ब्लैक फंगस के 40 से ज्यादा मरीज भर्ती हो चुके हैं।

CIMS प्रबंधन की ओर से बताया गया है कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी की आशंका। ऐसे में उपचार की व्यवस्था की गई है।
CIMS प्रबंधन की ओर से बताया गया है कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी की आशंका। ऐसे में उपचार की व्यवस्था की गई है।
जानकारी के मुताबिक, सोमवार शाम करीब 4 बजे तीनों मरीजों को CIMS लाया गया है। इनमें रतनपुर की 40 वर्षीया महिला, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले की 35 साल की महिला और जांजगीर के अकलतरा निवासी 50 साल का पुरुष मरीज शामिल है। CIMS प्रबंधन की ओर से बताया गया है कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी की आशंका। ऐसे में उपचार की व्यवस्था की गई है

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प्रदेश में ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस के 40 से ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग का अनुमान है कि एक से दो माह में 100 मरीज और आ सकते हैं। इस हिसाब से मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था की जा रही है। दूसरी ओर इस बीमारी में कारगर एंफोटेरेसिन-बी इंजेक्शन की सप्लाई नहीं हो रही है। जबकि रोज 100 इंजेक्शन की मांग है। भिलाई और महासमुंद में एक-एक मरीज की मौत भी हो चुकी है।

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इस फंगल इन्फेक्शन का सही समय पर इलाज न किया जाए तो आंखों की रोशनी जाने के अलावा मौत भी हो सकती है। साइनस से होते हुए आंखों को अपनी चपेट में लेने वाले इस फंगल इन्फेक्शन को शरीर में और फैलने से रोकने के लिए डॉक्टर को सर्जरी करके इन्फेक्टेड आंख या जबड़े का ऊपरी एक हिस्सा निकालना पड़ता है। यह नया इन्फेक्शन नहीं है। यह माइक्रोमायसीट्स नाम के फंगस से कारण होता है।

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