ब्लैक फंगस का कहर:बिलासपुर पुलिस अस्पताल के डॉक्टर की रायपुर में इलाज के दौरान मौत, कोरोना से ठीक होने के बाद हुआ था ब्लैक फंगस

 

बताया जा रहा है मूल रूप से मुंगली निवासी डॉ. सोनकर पिछले महीने ही कोरोना की चपेट में आ गए थे। कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी उनको कई तरह की समस्याएं आ गई थीं।
छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस के संक्रमण ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। बिलासपुर पुलिस अस्पताल के एक डॉक्टर की इलाज के दौरान मौत हो गई। कोरोना संक्रमण से उबरने के दौरान ही वे फंगस की चपेट में आ गए थे। तबसे रायपुर के डॉ. भीमराव आम्बेडकर अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।

बताया जा रहा है, बिलासपुर के पुलिस परिवार कल्याण चिकित्सालय के मेडिकल ऑफिसर डॉ. बीपी सोनकर (61) को पिछले महीने कोरोना हो गया था। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी थी। कोरोना ठीक होने के बाद वे ब्लैक फंगस की चपेट में आ गए थे। उसके बाद उन्हें रायपुर के डॉ. आम्बेडकर अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया, ब्लैक फंगस का संक्रमण उनके दिमाग तक पहुंच गया था। पिछले दिनों उनकी सर्जरी की गई। उसके बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। डॉ. भीमराव आम्बेडकर अस्पताल की प्रवक्ता शुभ्रा सिंह ने बताया, कोरोना के बाद की दिक्कतों के साथ डॉ. सोनकर को 29 मई को भर्ती कराया गया था। उन्हें हाइपरटेंसन और दूसरी दिक्कतें भी थीं। उनकी सर्जरी हुई लेकिन मंगलवार को उनका निधन हो गया। डॉ. सोनकर मूल रूप से मुंगेली के रहने वाले थे।

अब तक 7 लोगों की मौत

प्रदेश में अब तक ब्लैक फंगस संक्रमण की वजह से 7 लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीमारी से पहली मौत 11 मई को हुई थी। भिलाई के सेक्टर-9 अस्पताल में भर्ती एक 48 वर्षीय मरीज की जान चली गई थी। उनको पहले रायपुर के एक निजी अस्पताल में रखा गया था। बाद में सेक्टर-9 अस्पताल ले जाया गया।

प्रदेश में अभी 190 मरीज

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक प्रदेश में अभी ब्लैक फंगस के 190 मरीज हैं। इनमें से 144 मरीज तो रायपुर एम्स में भर्ती हैं। 26 मरीज डॉ. भीमराव आम्बेडकर अस्पताल में हैं। अन्य मरीज दूसरे जिलों के सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। इन मरीजों में से 60 से अधिक की सर्जरी की जा चुकी है।

क्या है यह ब्लैक फंगस जो ले रहा है जान

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक ब्लैक फंगस (mucormicosis) एक फंगल संक्रमण है। यह उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जो दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित है और दवाईयां ले रहे हैं। इससे उनकी प्रतिरोधात्मक क्षमता प्रभावित होती है। यदि यह फंगस शरीर के अन्दर चला जाता है तो उसके साइनस या फेफड़े प्रभावित होंगे। इसकी वजह से गम्भीर बीमारी हो सकती है। यदि इस बीमारी का इलाज समय पर नहीं किया गया तो यह घातक हो सकती है।

यह लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर को बताएं

आंख, नाक में दर्द और आंख के चारों ओर लालिमा, नाक का बंद होना, नाक से काला या लाल तरल द्रव्य निकलना, जबड़े की हड्डी में दर्द होना, चेहरे में एक तरफ सूजन होना, नाक अथवा तालु काले रंग का होना, दांत में दर्द, दांतों का ढीला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा में चकत्ते आना, छाती में दर्द, बुखार आना, सांस की तकलीफ होना, खून की उल्टी और मानसिक स्थिति में परिवर्तन आना।

ऐसे कर सकते हैं बचाव

ब्लैक फंगस संक्रमण से बचने के लिए डॉक्टरों ने कुछ उपाय बताए हैं। उसके मुताबिक धूल भरे स्थानों में मास्क पहनकर, शरीर को पूरे वस्त्रों से ढंक कर, बागवानी करते समय हाथों में दस्ताने पहन कर और व्यक्तिगत साफ-सफाई रख कर इससे बचा जा सकता है।