फर्जी कोरोना रिपोर्ट बनाने वाले 2 आरक्षक निलंबित…. होमगार्ड और कंप्यूटर आपरेटर के खिलाफ मामला दर्ज

 

कोरबा। कोरबा में शराब तस्करी के जुर्म में गिरफ्तार आरोपियों का फर्जी कोविड रिपोर्ट न्यायालय में पेश करने वाले 2 कांस्टेबल को एसपी अभिषेक मीणा ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है, वही इस कूटरचना में अहम भूमिका निभाने वाले जिला अस्पताल के कंप्यूटर आपरेटर और जिला अस्पताल पुलिस सहायता केंद्र में पदस्थ होमगार्ड के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश SP ने दिया है।

इस पूरे खुलासे के बाद एक बार फिर स्वास्थ विभाग की कार्यप्रणाली कटघरे में है, इस गंभीर प्रकरण पर जिला प्रशासन के जांच अधिकारी अब तक किसी निष्कर्ष पर नही पहुच सके है, उनका कहना है कि CMHO और सिविल सर्जन जांच में सामने नही आ रहे है, कुल मिलाकर स्वास्थ विभाग इस गंभीर मामले पर पर्दा डालने में जुटा हुआ है।

मामला कोतवाली थाना के मानिकपुर पुलिस चौकी क्षेत्र का है। यहां 21 मई की सुबह मानिकपुर पुलिस चौकी में पदस्थ कांस्टेबल योगेश राजपूत और दीपनारायण त्रिपाठी ने शराब लेकर जा रहे 2 बाईक सवार युवको को पकड़ा था।

आरोपियों के पास से 47 लीटर शराब जब्त करने के बाद उन्हे मानिकपुर पुलिस चौकी में ले जाकर उनके खिलाफ आबकारी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। इसी बीच दोनों कांस्टेबलो ने आरोपियों को मामले में जेल जाने से बचाने की पेशकश दी और परिवार वालों से 60 हजार रूपये ले लेकर कोर्ट से कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट के पेश करते ही बेल मिल जाने का आश्वासन दिया गया था। आरोपियों को जेल जाने से बचाने के लिए बकायदा जिला अस्पताल के कोविड जांच केंद्र में ले जाया गया, लेकिन यहां आरोपियों का टेस्ट कराये बगैर ही उनके नाम पर दूसरे मरीज के डीएच आई.डी पर फर्जी कोविड पाॅजिटिव रिपोर्ट तैयार करवा लिया गया। इस कूटरचना में दोनो कांस्टेबलो के साथ जिला अस्पताल पुलिस सहायता केंद्र के एक होमगार्ड की भी अहम भूमिका है, जिसने जिला अस्पताल के कम्पयूटर आपरेटर के साथ मिलकर आरोपियों का फर्जी कोविड पाॅजिटिव रिपोर्ट बनवाया था।

लेकिन कोर्ट में आरोपियों की कोविड पाॅजिटिव रिपोर्ट पेश करने के बाद भी मजिस्ट्रेट ने जमानत देने की बजाये उन्हे जेल रिमांड पर सीपेट कोविड सेंटर भेज दिया गया। घटना के दूसरे दिन पूरा मामला सामने आ गया। एनपीजी ने इस खबर को 22 मई को प्रमुखता से सामने लाया था, जिसके बाद कोरबा एस.पी.अभिषेक मीणा ने तत्काल इस मामले पर जहां दोनो कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया है, वही इस मामले के मुख्य आरोपी होम गार्ड सहित जिला अस्पताल के कम्पयूटर आपरेटर के खिलाफ अपराध दर्ज करने का निर्देश दिया गया है।

जांच के बाद और भी आरोपियों के खिलाफ होगी एफआईआर- एसपी मीणा
कोरबा एसपी अभिषेक मीणा ने एनपीजी से चर्चा में बताया कि खबर मिलते ही उन्होने हकीकत जानी, मामले में फर्जी कोविड रिपोर्ट बनाने की बात सामने आते ही दोषी दोनो कांस्टेबल को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया गया है। एसपी मीणा ने बताया कि इस पूरी कूटरचना में जिला अस्पताल के पुलिस सहायता केंद्र में पदस्थ एक होमगार्ड और जिला अस्पताल के कम्पयूटर आपरेटर की अहम भूमिका है, जिनके खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दे दिया गया है। पुलिस इस पूरे प्रकरण की जांच करेगी जांच में दोषी कांस्टेबलो की भूमिका के साथ ही आरोपी के परिजनो की भूमिका की भी जांच की जायेगी, और जिनके खिलाफ जैसे साक्ष्य मिलेगें उनके खिलाफ भी अपराध दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जायेगी।

स्वास्थ विभाग की कार्यप्रणाली पर लगा सवालिया निशान?
जिला अस्पताल से फर्जी कोरोना रिपोर्ट जारी होने के मामले में पुलिस की कार्रवाई ने एक बार फिर स्वास्थ विभाग की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया है। इस गंभीर प्रकरण के सामने आने के बाद कोरबा कलेक्टर किरण कौशल ने मामले की जांच का आदेश कोरबा एसडीएम सुनील नायक को दिया था। लेकिन मामला सामने आने के 24 घंटे बाद भी जिला प्रशासन के जांच अधिकारी की तरफ से कार्रवाई लंबित ही है। बताया जा रहा है कि इस प्रकरण में CMHO डॉ बी.बी.बोर्ड और सिविल सर्जन अरुण तिवारी जांच में स्पोट नही कर रहे है। कोरोना महामारी के इस दौर में जब कोरोना संक्रमण को रोकने को लेकर शासन-प्रशासन ऐड़ी चोटी का जोर लगाये हुए है। ऐेसे में जिला अस्पताल से अब तक कितनों को उनके उपयोग के मुताबिक फर्जी कोविड रिपोर्ट जारी कर दिया गया, ये अब भी जांच का विषय है। ऐेसे में अब ये देखने वाली बात होगी कि पुलिस विभाग ने जिस मुस्तैदी से इस प्रकरण में गंभीरता दिखाई, क्या वैसी गंभीरता स्वास्थ विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारी दिखाते है, या फिर कोरोना संक्रमण के नाम पर ये फर्जीवाड़ा ऐसे ही चलता रहेगा, ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।