कोरबा। कोरबा में दूरस्थ इलाके के कई गांव आज भी विकास की राह तक रहे है। वहां के रहवासी बुनियादी सुविधा के लिए संघर्ष कर रहे है। गांव में न तो सुगम रास्ता है और ना ही बिजली की माकूल व्यवस्था। कीचड़ से पटी पगडंडी नुमा रास्ता ही लोगो की मुकद्दर बन गई है। सालो से मदद की गुहार लगा रहे ग्रामीणों के सब्र का बांध अब टूट गया है। उन्होंने उग्र आंदोलन करने की तैयारी शुरू कर दी है।
कोरबा जिला मुख्यालय करीब 100 किलोमीटर दूर पसान क्षेत्र के लैंगा, सैंगा, सालिसमार सहित कई ग्रामपंचायत के रहवासी सरकारी योजनाओं से दूर हैं। पोड़ी–उपरोड़ा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाला यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है। घने जंगल के बीच रहने वाले लोग हर वक्त अनजान खतरे के साए में रहते हैं। आजादी के इतने साल बाद भी इस इलाके सुगम रास्ता नहीं बन सका। तीन ग्राम पंचायत को जोड़ने वाला करीब साढ़े 14 किलोमीटर का रास्ता कीचड़ से पता है। कच्ची सड़क पर वाहन तो दूर पैदल चलना मुश्किल हो गया है। ग्रामीणों के मुताबिक दो दशक पहले उस रास्ते का जीर्णोधार किया गया था जो कुछ माह बाद ही जर्जर हो गया। हालात बद से बदतर हो चला है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अफसरों के उपेक्षा के शिकार ग्रामीणों ने अब आंदोलन करने का मन बना लिया है। 17 अगस्त को चक्काजाम किया जायेगा।
ये कैसी आजादी
आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, लेकिन इस गांव के लोग बिजली के अभाव में पानी रूपी अमृत के लिए तरस रहे हैं। शैला और लैंग गांव बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रहा है। पेंड्रा जिले के सीमा से महज कुछ दूरी पर स्थित इस गांव के लोग आज भी पगडंडियों से आवागमन करने को मजबूर हैं।
17 अगस्त को चक्काजाम
क्षेत्र में फैली अव्यवस्थाओं से परेशान ग्रामीणों ने कई बार अफसरों से मिन्नते की। जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई मगर किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब उनके सब्र का बांध टूट चुका है। तीनो पंचायत के सरपंच और जनपद सदस्य की अगुवाई में ग्रामीण अब आर–पार की लड़ाई की तैयारी में है। उन्होंने 17 अगस्त को चक्काजाम करने का ऐलान किया है।