छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने की अग़वा सब इंस्पेक्टर की हत्या

जगदलपुर। नक्सलियों ने अगवा सब इंस्पेक्टर मुरली ताती की हत्या कर दी है। शुक्रवार देर रात उनका शव गंगालूर इलाके के नांदलूर गांव के पास सड़क पर फेंककर नक्सली चले गए। शव के ऊपर एक पर्चा मिला है जिसमें नक्सलियों ने हत्या की बात कुबूली है। पर्चे में लिखा है कि वह सलवा जुडूम के समय से जनता पर अत्याचार में शामिल रहा। गांवों पर हमला कर निर्दोष ग्रामीणों की हत्या, महिलाओं से छेड़छाड़, नक्सल कैडर की फर्जी मुठभेड़ में हत्या, आदिवासियों को फर्जी मामलों में जेल भेजने में मुरली की भूमिका रही।

पश्चिम बस्तर डिविजनल कमेटी की ओर से जारी पर्चे में लिखा है कि पुलिस में मत जाओ। आईजी सुंदरराज पी ने घटना की पुष्टि की है। ज्ञात हो कि एसआई मुरली ताती को 21 अप्रैल को गंगालूर इलाके के तुंगलवाया गांव से अगवा किया गया था। मुरली ने 2005-06 में दक्षिण बस्तर में चले नक्सल विरोधी अभियान सलवा जुडूम में बढ़ चढ़कर भाग लिया था। उनकी सक्रियता को देखते हुए उन्हें विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) बनाया गया था।

2011 में सलवा जुडूम के खिलाफ दायर एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हथियारबंद दस्ते पर प्रतिबंध लगाया तो सरकार ने एसपीओ के पद को सहायक आरक्षक में परिवर्तित कर सभी को पुलिस में ले लिया। सहायक आरक्षक रहते हुए मुरली ने नक्सल मुठभेड़ों में बहुत सफलता पाई। वह लगातार आउट ऑफ टर्न प्रोमोशन पाते रहे। बीजापुर जिले के गंगालूर थाना क्षेत्र के अति नक्सल प्रभावित पालनार गांव के निवासी मुरली 12 वीं तक पढ़े थे।

वह अपने इलाके के सर्वाधिक शिक्षित व्यक्ति थे। 2019 में एसआई के पद पर प्रमोट होने के बाद उनका स्थानांतरण बीजापुर से बस्तर हुआ था। जगदलपुर में भी वह नक्सलियों से मुकाबले के लिए गठित स्थानीय फोर्स डीआरजी में रहे। चार महीने पहले उन्हें डीआरजी से हटाकर जगदलपुर पुलिस लाइन में पदस्थ किया गया था। उनकी पत्नी और तीन बच्चे बीजापुर में रहते हैं। तबियत खराब होने पर कुछ दिन पहले वह अवकाश लेकर बीजापुर गए थे।

21 अप्रैल को वह अपने गांव पालनार जा रहे थे तभी नक्सलियों ने उनका अपहरण कर लिया था। उनकी रिहाई के लिए गोंडवाना समाज के लोग जंगलों में भटकते रहे। शुक्रवार को समाज के प्रतिनिधियों ने नक्सलियों के सामने मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा था। गोंडवाना समाज ने ही इसी महीने टेकलगुड़ा मुठभेड़ के बाद अगवा जम्मू के कोबरा जवान राकेश्वर मिन्हास की रिहाई की पहल की थी। उन्हें नक्सलियों ने छोड़ दिया था पर मुरली की हत्या कर दी।