शासी परिषद की वर्चुअल नहीं कलेक्ट्रेट में हो प्रत्यक्ष बैठक ….सदस्य सुरेंद्र जायसवाल ने कलेक्टर के समक्ष रखी मांग ….बैठक से पहले कार्ययोजना की नहीं दी गई जानकारी

कोरबा । जिला खनिज संस्थान न्यास (शासी परिषद) की बुधवार को आयोजित बैठक को वर्चुअल किए जाने को लेकर सवाल उठने लगे हैं। परिषद के सदस्य सुरेंद्र जायसवाल ने कलेक्टर एवं जिला खनिज न्यास के अध्यक्ष को पत्र लिख कर प्रत्यक्ष बैठक करने की मांग की है। लंबे समय बाद यह बैठक होने जा रहा, पर कार्ययोजना उपलब्ध नहीं कराए जाने को लेकर सदस्यों में नाराजगी देखी जा रही।

प्रस्तावित विकास कार्यों को शासी परिषद की बैठक में स्वीकृति प्रदान की जाती है। करीब सात माह बाद बुधवार को बैठक आयोजित की गई है। कांग्रेस की सरकार राज्य में आने के बाद से प्रभारी मंत्री शासी परिषद की अध्यक्षता करते रहे हैं। अब केंद्र सरकार ने नियम में बदलाव करते हुए कलेक्टर को यह अधिकार प्रदान कर दिया है। प्रस्तावित इस बैठक को लेकर आपत्ति दर्ज कराते हुए सदस्य सुरेंद्र प्रताप जायसवाल ने कलेक्टर रानू साहू को पत्र लिखा है, इसमें उन्होंने कहा है कि 13 सितंबर को बैठक की सूचना प्राप्त हुई, लेकिन इसके साथ एजेंडा नहीं दिया गया। इस वजह से कार्य योजनाओं से वे अवगत नहीं हो पाए हैं। नगरीय निकाय सदस्य के रूप में मुझे शामिल किया गया है, चूंकि कोरबा नगर पालिक निगम का संपूर्ण क्षेत्र खनिज प्रभावित क्षेत्र है, इसलिए यहां होने वाले विकास कार्यों की जानकारी के अभाव में जिम्मेदारी पूर्वक बैठक में हिस्सा लेना संभव नही है। कलेक्ट्रेट में टीएल की बैठक हो या फिर अन्य शासकीय बैठक हो। सभी वर्चुअल के स्थान पर प्रत्यक्ष रूप से आयोजित किए जा रहे हैं। इसलिए इस बैठक को भी प्रत्यक्ष रूप से आयोजित किया जाना चाहिए था। जायसवाल ने कलेक्टर से आग्रह किया है कि कार्य योजना उपलब्ध कराने के साथ प्रत्यक्ष बैठक आयोजित की जाए।

बीते वर्ष के रोके गए कार्यों का नहीं मिला ब्यौरा
राजस्व मंत्री के कार्यालय से जिला खनिज न्यास मद से बीते वर्ष स्वीकृत किए गए कार्यों व अब तक प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान नहीं किए जाने वाले कार्यों की जानकारी मांगी गई थी, पर संपूर्ण जानकारी नहीं मिली। सदस्यों का यह भी कहना है कि यदि बीते वर्ष के कार्य योजनाओं को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है, ऐसे में अगली बैठक आगे पाठ, पीछे सपाट जैसी स्थिति है। कोरबा व कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में एसईसीएल की सर्वाधिक कोयला खदानें संचालित हैं। यहां से शासी परिषद को सर्वाधिक राजस्व मिलता है।