मेगा सेल लगाकर देश की संपत्ति बेच रहा केंद्र:रायपुर में पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने कहा- मोदी सरकार ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया, एक मॉनिटेजेशन दूसरा डी-मॉनिटाइजेशन

रायपुर में अजय माकन ने मीडिया से बातचीत की।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और AICC के जनरल सेकेट्ररी अजय माकन ने कहा, देश का जिम्मेदार विपक्ष होने के नाते हम इस वक्त महसूस करते हैं कि सही बातें जनता के बीच में बताने की जरूरत है। ये ऐसा वक्त है कि देश की धरोहर को, विरासत को एक तरीके से 70 साल के भीतर जनता की कमाई से खड़ी की गई संपत्ति को मेगा डिस्काउंट सेल लगाकर केंद्र की सरकार बेच रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री शुक्रवार को रायपुर स्थित कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकारों से बात कर रहे थे।


पूर्व केंद्रीय मंत्री माकन ने केंद्र सरकार की नेशनल मॉनिटाइजेशन पाइपलाइन योजना का विरोध किया। कहा, मोदी सरकार ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है एक का नाम है डी मॉनिटेजेशन और दूसरा मॉनिटाइजेशन। इनका मकसद एक है। आपने पुराने जमाने की वो फिल्में देखी होंगी। सीता-गीता, राम और श्याम उसी तरह इन जुड़वा बच्चों की फिल्म के डायरेक्टर खुद मोदी जी हैं। डी मॉनिटाइजेशन ने गरीब, छोटे कारोबारियों और आम लोगों को लूटने का काम किया। अब मॉनिटाइजेशन से देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को लूटने का काम होगा। दोनों का ही मकसद सिर्फ और सिर्फ सरकार के करीबी और अमीर दोस्तों उद्योगपति, पूंजिपतियों को फायदा पहुंचाना है।

मोदी सरकार में घटा इंफ्रास्ट्रक्चर विकास

माकन ने कहा कि 15 अगस्त के मौके पर पीएम मोदी बड़ी-बड़ी बातें इंफ्रास्ट्रक्चर पर कर रहे थे। मैंने मोदी सरकार की रिपोर्ट देखी जो खुद उन्होंने ही बनाई है। इसमें इस बात का जिक्र है कि इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में 36 लाख करोड़ रुपए साल 2012 से 2017 तक पांच सालों में खर्च हुए। इसका औसत देखें तो हर साल करीब 7 लाख 20 हजार करोड़ रुपए विकास में खर्च हुए। इसके बाद दो सालों 2018 से 2019 के दरम्यान इस खर्च में 40 प्रतिशत गिरावट आई है। ये तब जब कोविड का काल नहीं आया था, कोविड के बाद तो और गिरावट आई है।

मोनॉपली बढ़ेगी इससे जनता होगी परेशान

इस वक्त जब देश का रेलवे एयरपोर्ट, टेलीकॉम सरकार के हाथों में है। सिर्फ मुनाफा कमाना उद्देश्य नहीं होता। लोगों को सर्विस मिलती है, नौकरी मिलती है। मगर जब कारोबारियों के हाथ में ये सर्विसेज होंगी, तो मोनोपली को बढ़ावा मिलेगा। जब सारी जरूरी सर्विस किसी एक कंपनी के हाथ में होगी तो उसकी मनमानी लोगों को झेलनी होगी। आज सीमेंट सेक्टर में दो-तीन बड़े ब्रांड रेट तय कर लेते हैं, सरकार चाहकर भी कुछ नहीं कर पाती। अमेरिका, इंग्लैंड जैसे देशों में बैंक प्राइवेट सेक्टर के पास हैं, वहां की सरकारें भी मजबूर हो जाती हैं। सोचिए रेलवे, एयरपोर्ट जैसी जगहों पर जब मोनोपली पैदा होगी तो क्या हाल होगा। केंद्र सरकार की वजह से अब मेगा सेल लगी है छोटे-मोटे सेक्टर का नहीं है। देश के हर सेक्टर को एक साथ प्राइवेट किया जा रहा है। हम इसका विरोध करते हैं।

किराए की बात सिर्फ झूठ है

पत्रकारों ने पूछा कि केंद्र सरकार ने कुछ सर्विसेस को किराए पर देकर लाभ कमाने का दावा किया है। इस पर जवाब में अजय माकन ने कहा कि ये सिर्फ चुने हुए मित्र पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने का प्रयास है। केंद्र सरकार संपत्तियां ट्रस्ट को देंगी। ये ट्रस्ट यूनिट बनाकर उसे कारोबारियों को देंगे। ट्रस्ट नहीं, जो कारोबारी यूनिट खरीदेगा वो उसका मालिक होगा। 60 साल के लिए संपत्तियों को लीज पर देने की जो बात है कि वो मिल्कियत से कहीं कम नहीं, दो पुश्तें गुजर जाएंगी। इसके बाद सरकार से और 60 साल के लिए बढ़ा देगी तो क्या करेंगे। किराए पर देने की बात झूठ है, संपत्तियां बेच रहे हैं और किराए के भाव में बेच रहे हैं।

घाटे का लॉजिक गलत

ये भी बातें सामने आ रही हैं कि जो सेक्टर घाटे में हैं उन्हें प्राइवेट कंपनियों को दिया जाएगा। इस पर माकन ने बताया कि सड़कों को देने की बात है। सड़कों से तो टोल मिल रहा है, वहां किस तरह का घाटा। सिर्फ घाटे वाले सेक्टर होते तो हमें दिक्कत नहीं होती। यहां तो रेलवे, एयरपोर्ट दे रहे हैं। ऐसे सेक्टर्स को ही दिया जा रहा है जो प्रॉफिट मेकिंग हैं। जहां सबसे ज्यादा लोग सेवा लेते हैं। रेलवे स्टेशन भी ऐसे हैं जहां सबसे ज्यादा मुनाफे की गुंजाइश हो। घाटे वाले सेक्टर तो केंद्र सरकार अपने पास रख रही है।

कंपनियों का राज होगा देश में

अजय माकन ने आगे अपनी बात रखते हुए कहा कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सरकारों की जरूरत है। ये लोगों का भला कर सकती हैं, कंपनियां नहीं। मोदी सरकार सारी चीजों को बेचने का काम कर रही है। ऐसे हाल में जब प्रमुख सर्विसेस प्राइवेट कंपनियों के पास होंगी तो कंपनियां ही देश को चलाने का काम करेंगी। देश की जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। आज लोगों के पास सूचना का अधिकार है, उसे भी छीन लिया जाएगा। संसदीय तरीके से जो मॉनिटिरिंग का काम है वो नहीं हो सकेगा। देश की जनता से ताकत छीनकर बड़े कारोबारियों को ताकतवर बनाने का काम हो रहा है। ये देश के डेमोक्रेटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाने की बात है। कांग्रेस की राज्य सरकारें, कांग्रेस पार्टी इसका पुरजोर विरोध करेगी।