बड़ी कार्यवाही- एनजीटी ने छह क्रेशरों पर 6.41 लाख रुपये का लगाया जुर्माना….

  1. महोबा जिले के बिलवई गांव के किसानों को एक दशक से स्टोन क्रेशर द्वारा कृषि योग्य भूमि पर्यावरणीय नियमों के विपरीत संचालन से बंजर बनाए जाने के विरुद्ध लड़ी जा रही लड़ाई सुप्रीम कोर्ट की महोबा निवासी अधिवक्ता सीमा पटनाहा सिंह के के मिले साथ से जीतने में सफलता मिली। एनजीटी ने अवैध रूप से बिलवई गांव में संचालित 6 क्रेशरो पर 6 करोड़ 41 लाख 80750 रुपये का जुर्माना लगाकर उक्त जुर्माने की वसूली और किसानों की बंजर हुई भूमि की भरपाई के लिए प्रदेश के प्रमुख सचिव को जल्द कराने के निर्देश दिए। एनजीटी के किसानों के हित में आए इस फैसले से बिलवई ही नहीं जिले के किसान बेहद खुश हैं और उन्होंने अधिवक्ता सीमा जिन्होंने किसानों की ओर से यह लड़ाई लड़ी एनजीटी में पैरवी की का भी आभार जताते इसे बहु नहीं बेटी करार दिया ।2 वर्ष से एनजीटी में यह मुकदमा चल रहा था। वही विलवाई गांव में किसानों की खेतहर भूमि पर 2008 में स्टोन क्रेशर लगना शुरू हुए ।2011 तक खेती की भूमि पर कई क्रेशर लग गए । किसानों ने शासन प्रशासन से शिकायत की लेकिन सुनवाई नहीं हुई ।2018 में एसएससी की अधिवक्ता सीमा पटनाहा सिंह जो महोबा की है इस मुद्दे को गंभीरता से ले सबूत जुटाए और मई 2019 में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में केस किया 1 मई 2018 को हुई सुनवाई में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड डीएम महोबा को 1 महीने में बिलवई गांव की स्टोन क्रेशर की रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट में यह माना कि स्टोन क्रेशरों ने पर्यावरण नियमों का पालन नहीं किया। जिससे यहां की कृषि योग्य भूमि डस्ट से बंजर हुई। से बताया की ईसी कारण इस गांव की सभी स्टोन क्रेशरो को सीज कर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है ।दूसरी सुनवाई 18 दिसंबर 2019 को हुई जिसमें एनजीटी ने नियम कानून उल्लंघन से हुई क्षति की भरपाई को जरूरी बताया और इसकी आकलन के लिए कमेटी बनाई फिर अप्रैल 2020 को तिथि निर्धारित हुई कोरोना के कारण सुनवाई 27 जुलाई 2020 को हो पाई इस समय तक क्षति का आकलन कमेटी ठीक ढंग से नहीं कर पाई और गलत सूचना प्रेषित की जिसका किसानों की अधिवक्ता सीमा ने सुनवाई के दौरान विरोध किया। कमेटी को आगे की तारीख मिली। 19 जनवरी 2021 की निर्धारित हुई तिथि के दौरान कमेटी ने क्षति व भरपाई आकलन की रिपोर्ट एनजीटी में जमा की किंतु भरपाई की वसूली शुरू नहीं की गई ।8 जून 2021 को तय तिथि पर एनजीटी ने अपना फैसला सुनाया रिपोर्ट के आधार पर एनजीटी ने पाया कि स्टोन क्रेशर के मालिकों ने 10 वर्षों से अधिक तक यहां पर्यावरण का हनन किया जिससे यहां की मिट्टी में पत्थरों की धूल डस्ट से जमा हुई तो भूमि बंजर हो गई। जुर्माने की राशि वसूलने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व जिलाधिकारी महोबा को आदेश दिया गया प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी घनश्याम ने बताया कि एनजीटी के आदेश पर संबंधित केसर संचालकों को नोटिस भेजी जा रही है डीएम सत्येंद्र कुमार ने बताया कि जुर्माना वसूली के साथ ही केसर की एनओसी निरस्त करने के निर्देश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिए गए हैं