देश में फिर लगाया जा सकता है कंपलीट लॉकडाउन… SC ने केंद्र को राज्य सरकारों से विचार करने को कहा…. थम नहीं रही कोरोना की रफ्तार’

 

नईदिल्ली 3 मई 2021. देश में कोरोना बेकाबू हो चुका है. कोरोना पर काबू पाने के लिए कई राज्यों में लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लागू हैं, हालांकि नए केस में कमी नहीं आ रही है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने देश में कोरोना की दूसरी लहर को काबू पाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों से लॉकडाउन पर विचार करने को कहा है. इसके साथ ही, सर्वोच्च अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से यह भी कहा कि आवासीय प्रमाण पत्र या फिर पहचान पत्र के अभाव में किसी मरीज को अस्पताल में दाखिल होने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को केंद्र और राज्य सरकारों को कोरोना की वर्तमान स्थिति के मद्देनजर करीब 64 पेज में नया आदेश जारी किया है. सर्वोच्च अदालत ने अपने निर्देश में कहा है कि किसी भी मरीज को स्थानीय आवासीय प्रमाण पत्र या पहचान पत्र की कमी के लिए किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के अस्पतालों में भर्ती या आवश्यक दवाओं से वंचित नहीं किया चाहिए.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केंद्र सरकार को दो सप्ताह के भीतर अस्पतालों में भर्ती करने को लेकर एक राष्ट्रीय नीति बनाने का निर्देश दिया, जिसका सभी राज्य सरकारों द्वारा पालन किया जाएगा और तब तक किसी भी मरीज को स्थानीय आवासीय प्रमाण पत्र और पहचान पत्र के अभाव में प्रवेश या आवश्यक दवाओं से वंचित नहीं किया जाएगा.

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि हम केंद्र और राज्य सरकारों से अपील करते हैं कि वह ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाएं, जहां अधिक संख्या में लोगों के इकट्ठा होने की संभावना हो सकती है. वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकार जनहित में लॉकडाउन भी लगा सकती है. हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि लॉकडाउन का सामाजिक और आर्थिक असर हाशिए पर रहने वाले समुदायों और मज़दूरों पर पड़ सकता है. ऐसे में अगर सरकार लॉकडाउन लगाती है, तो वो इन समुदायों की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए पहले से ही व्यवस्था करे.।