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। जिला और राज्य के संगठन में भाजपा नेता बेहद सुस्त पड़ चुके हैं। जनता के साथ शीर्ष नेतृत्व भी यह बात समझ चुकी है। जिसके कारण केंद्रीय नेतृत्व ने अब केंद्र के स्तर के नेताओं को विधानसभा में भेजना शुरू कर दिया है। कोरबा में लखन लाल की नामांकन रैली में शामिल होने जमशेदपुर के सांसद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा हेलीकॉप्टर से पहले सीएसईबी पहुंचे। फिर कोसाबाड़ी चौक में मुट्ठी भर कार्यकर्ता को संबोधित किया, स्थिति इतनी खराब थी कि अर्जुन मुंडा जैसे नेता को सुनने के लिए कोई कार्यकर्ता ही मौजूद नहीं थे। भाजपा के चारों प्रत्याशी मिलकर भी भीड़ नहीं जुटा पाए बल्कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की रैली में भाजपा से ज्यादा भीड़ देखने को मिली। भाजपाइयों को जैसे जनता ने सिरे से नकार दिया है।
कोसाबाड़ी चौक में एक मालगाड़ी को ही भाजपा ने मंच बना दिया। इसी मालगाड़ी पर चढ़कर अर्जुन मुंडा चीखते रहे, कांग्रेस सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार संबंधी कई बातें कहते रहे। लेकिन अफसोस के उन्हें कोई सुनने वाला ही नहीं था।
कोरबा में बीजेपी की नामांकन रैली के फ्लॉप शो और अव्यवस्था का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब अर्जुन मुंडा मालगाड़ी के मंच से मुट्ठी भर कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। तब भी ना तो कोरबा से बीजेपी के प्रत्याशी लखन, रामपुर के प्रत्याशी और पूर्व गृह मंत्री ननकी राम कंवर सहित कोई भी बीजेपी का प्रत्याशी उनके अगल-बगल में मौजूद नहीं था। मौजूद थे तो कोरबा विधानसभा से टिकट की मांग करने वाले जिलाध्यक्ष राजीव सिंह, जोगेश लांबा, हितानंद और नवीन पटेल। ऐसा लग रहा था मानो चुनाव लड़ने वाले लखन लाल जैसे प्रत्याशी पहले ही हार मानकर हथियार डाल चुके हैं। जबकि दाएं बाएं के नेता अभी से लोकसभा की तैयारी में जुटे हुए गए हैं।
सवाल बीच में छोड़कर भाग खड़े हुए-
अर्जुन मुंडा अपने उद्बोधन में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार को कोसने का प्रयास कर रहे थे। कह रहे थे कि भ्रष्टाचार चरम पर है। यह भी कहा कि है यहां की कलेक्टर रह चुकी कलेक्टर साहिब अब जेल में है। लेकिन अर्जुन मुंडा को शायद इस बात का पता नहीं है कि जो कलेक्टर जेल में है। उसकी पैरवी यहां के जिलाध्यक्ष राजीव सिंह किया करते थे। उनके काम की तारीफ करते वह थकते नहीं थे। पत्रकारों ने सवाल पूछा कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी की क्या स्थिति है? भूपेश बघेल कह रहे हैं कि बीजेपी नहीं रमन सिंह चुनाव लड़ रहे हैं?
इन सवालों को सुनकर जैसे अर्जुन मुंडा के होश उड़ गए, पहले तो वह कहने लगे कि “आपका कैमरा बंद है”, लेकिन जब उन्हें बताया गया कि कैमरा चालू है। तब उनका चेहरा पीला पड़ गया। कोई जवाब ही नहीं दे पाए और कहने लगे की “बस करिए, हो गया”, इतना कहकर वह वाहन में सवार हो गए और अपने हेलीकॉप्टर की तरफ बढ़ गए। पत्रकारों के सवाल बीच में छोड़कर अर्जुन मुंडा एक तरह से भाग खड़े हुए। बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को भी समझना चाहिए कि जिस नेता को उन्होंने हेलीकॉप्टर का खर्चा उठाकर नामांकन रैली में भेजा। उनकी यहां धरातल पर क्या स्थिति है, किस तरह वह मुट्ठी भर कार्यकर्ताओं को उद्बोधन देते हैं और फिर सवालों को बीच में छोड़कर ही भाग जाते हैं।
इस चुनाव में बीजेपी का नारा है कि “अब न सहिबो, बदल के रहिबो”। लेकिन इस नारे को साकार करेगा कौन? नामांकन रैली में केंद्र स्तर के नेता समय पर नहीं पहुंचते, उद्बोधन देते हैं तो प्रत्याशी और भीड़ दोनो गायब है। जिस कलेक्टर को कोसते हुए भ्रष्टाचारी बताते हैं, उसकी तारीफ उनके ही जिलाध्यक्ष करते थकते नहीं थे। अब ऐसे में बीजेपी के सत्ता परिवर्तन का ख्वाब कैसे पूरा होगा! कोरबा विधानसभा हो या अन्य सीट आज की नामांकन रैली से ऐसा प्रतीत हुआ कि प्रत्याशियों ने हथियार डाल दिए हैं। सवाल यह भी है कि अर्जुन मुंडा सवालों के जवाब क्यों नहीं दे पाए? क्या उन्हें केंद्रीय संगठन ने ही मुंह खोलने से मना किया था? या फिर उनमें इतनी काबिलियत ही नहीं है कि वह पत्रकारों के सवाल का सामना करें।
वैसे तो बीजेपी का प्लान था कि प्रत्याशियों के साथ वह नामांकन भरें। लेकिन संगठन के बीच कोई सामंजस्य नहीं था। जब मुंडा पहुंचे तब तक प्रत्याशी नामांकन भर चुके थे। ले देकर जो मुट्ठी भर लोग रैली में पहुंचे थे। वह भी तितर बितर हो गए। अर्जुन मुंडा को मालगाड़ी में चढ़ाकर किसी तरह उद्बोधन दिलवाया गया। लेकिन उन्हें सुनने में किसी को कोई दिलचस्पी नहीं रह गई थी। बेईज्जती से बचने उन्होंने 5 मिनट तक लोगों को संबोधित किया और बिना सिर पर की बात कहकर उल्टे पांव लौट गए।