कोरबा/ पावर हाउस रोड स्थित जामा मस्जिद की दो दुकानों को बेचे जाने का मामला अब न्यायालय पहुंच गया है कोरबा सुन्नी मुस्लिम जमात ने उक्त वक्फ संपत्ति को बेचे जाने पर आपत्ति जताते हुए न्यायालय से भारतीय दंड संहिता की धारा 420 467 468 34 के तहत अपराध पंजीकृत करने की गुहार लगायी है.
पावर हॉउस रोड स्थित जामा मस्जिद जो कि वक्फ द्वारा संचालित है जिसकी दो दुकान क्रमशः जगदेव सिंह पिता सुरवंशी निवासी अमरैया पारा कोरबा तहसील व जिला कोरबा सुरेंद्र सिंह पिता वारियम सिंह निवासी एस एस प्लाजा कोरबा के द्वारा लंबे समय से 800 रूपये महीने की किराएदारी पर लिया गया था किंतु विगत दिनों उक्त दोनों किराएदारों के द्वारा दिनांक 15 6 2021 को दुकान का मालिकाना हक्क बताते हुए क्रेता शाहिद खान पिता मोहम्मद खान निवासी पुरानी बस्ती कोरबा को दुकान का विक्रय नाम सम्पादित कर विक्रय कर दिया गया,इसी तरह दुकान क्रमांक 14 को भी झूठ एवं फर्जी तौर पर अपनी संपत्ति बताते हुए गलत जानकारी देते हुए जमाल अहमद पिता हाजी हाफिज जहुर निवासी रामसागर पारा को विक्रय कर दिया गया.
इस पर आपत्ति करते हुए कोरबा सुन्नी मुस्लिम जमात के अध्यक्ष आरिफ खान ने इसकी शिकायत कोतवाली में की जहां कार्यवाही के अभाव में पुनः इसकी शिकायत एसपी कार्यालय में की किंतु यहां अपेक्षित न्याय नहीं मिल पाने के कारण आरिफ खान ने उक्त मामले को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया है न्यायालय ने मामले को की गंभीरता को देखते हुए विक्रेता गणो को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.
यहां बताना लाजिमी होगा की पावर हॉउस रोड स्थित जामा मस्जिद का संचालन एक कमेटी बनाकर किया जाता है उक्त कमेटी वक्फ बोर्ड के अधीन आती है जिसके पदेन आयुक्त कलेक्टर कोरबा हुआ करते हैं वक्फ की संपत्ति जो की एक तरह की सरकारी संपत्ति मानी जाती है जिसे बेचने का अधिकार न ही वक्त बोर्ड को है और ना ही किसी कमेटी को है किंतु उक्त दुकानों को किराए पर देने का प्रावधान है कमेटी द्वारा जगदेव सिंह पिता सरमन सिंह एवं सुरेन्द्र सिंह पिता वरियाम सिंह को दुकान किराए पर दी थी लंबे समय तक जिसका ₹800 प्रतिमाह किराया मिलता रहा बाद में उक्त दोनों किराएदारों ने एक बिक्री नामा संपादित कर उक्त दोनों दुकानों को लाखों रुपए लेकर बाकायदा बिक्री नामा सम्पादित कर दुकान बेचने का सौदा कर लिया जिसकी राशि भी प्राप्त की जा चुकी है एवं दुकान का हस्तांतरण उक्त क्रेताओं को किया जा चुका है.
इस मामले मे गंभीर विषय यह है की दोनों विक्रेताओं द्वारा दुकान बेचैवजानेबकी जानकारी जामा मस्जिद कमेटी को दी है अगर दिभाई तो क्या कमेटी ने उक्त दुकान को बेचे जाने की अनुमति दे दी और अगर कमेटी को जानकारी नहीं दी गयी है तो कमेटी ने इस पर आपत्ति क्यों नहीं की दुकान हस्ताँटार्न पर अपनी सहमति कैसे दे दी इन तमाम सवालों के जवाब आना बाकि है.